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IPC Section 113 में क्या है, जानिए इसके अंतर्गत क्या है सजा

IPC Section 113 में क्या है, जानिए इसके अंतर्गत क्या है सजा

IPC की धारा 113 भी दुष्प्रेरण (उकसाने) पर मिलने वाले सजा को लेकर ही है. जब कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है तो उस अपराध के अलावा कोई और अपराध हो जाए और अगर उकसाने वाले व्यक्ति को उस बारे में पहले से ही पता हो, तब उसे कैसी सजा मिलेगी. क्या उसे वही सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया था या फिर कुछ और अपराध होने की वजह से उकसाने वाले को सजा नहीं मिलेगी.

Written By My Lord Team | Published : January 5, 2023 12:37 PM IST

नई दिल्ली: कानून के नजर में हर अपराध के पीछे एक अपराधी दिमाग होता है. वो दिमाग चाहे अपराधी का खुद का हो या अपराध को अंजाम वाले का. कई बार ऐसा होता है कि कुछ अपराध लोगों के उकसाने पर ही हो जाते है. उकसाने का असर इतना अधिक होता है कि लोग हत्या जैसे संगीन अपराध को भी अंजाम दे देते हैं.

कानून के मुताबिक अधिकतर अपराधी अपराध  करना नहीं चाहते, बहकावे में आकर अपराध को अंजाम देते हैं. भारत में किसी को किसी गैरकानूनी काम के लिए उकसाना एक गुनाह है. ऐसे अपराधों को ही रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) 1860 में इस तरह के अपराध और उससे जुड़ी सजा के बारे में बताया गया है.

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आईपीसी( IPC) के चैप्टर पांच जो दुष्प्रेरण के (of Abetment) विषय में है, यानि कि अगर कोई किसी को किसी अपराध के लिए उकसाता है तो उसे क्या सजा मिलनी चाहिए. इसके तहत आने वाले कुछ धाराओं के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके है. अब हम आपको उसके अंतर्गत आने वाली धारा 113 के बारे में बताएंगे.

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Indian Penal Code की धारा 113

IPC की धारा 113 भी दुष्प्रेरण (उकसाने) पर मिलने वाले सजा को लेकर ही है. जब कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है तो उस अपराध के अलावा कोई और अपराध हो जाए और अगर उकसाने वाले व्यक्ति को उस बारे में पहले से ही पता हो, तब उसे कैसी सजा मिलेगी. क्या उसे वही सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया था या फिर कुछ और अपराध होने की वजह से उकसाने वाले को सजा नहीं मिलेगी.

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IPC की धारा 113 क्यों है अलग

इस धारा के अनुसार "दुष्प्रेरक कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो- जबकि कार्य का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक द्वारा किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप  जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन है, वह कार्य के द्वारा आशयित प्रभाव से भिन्न प्रभाव कारित करता है तब दुष्प्रेरक कारित प्रभाव के लिए उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को कारित करने के आश्रय से किया हो परंतु यह तब जब वह जानता था कि दुष्प्रेरक कार्य से यह प्रभाव कारित  होना सम्भाव्य है."

आसान भाषा में समझते हैं. अगर उकसाने वाले को पता है कि वो जिस अपराध के लिए किसी को उकसा रहा है उस अपराध के साथ - साथ कोई और भी अपराध हो सकता है तो ऐसे में उकसाने वाला उस अपराध के लिए दोषी माना जायेगा जिस अपराध के होने के बारे में इसे पता था और वह अपराध हो गया. यानि कि जो अपराध होगा उसी अपराध के लिए उकसाने वाले को सजा मिलेगी.

जैसे- A, B को Z को गंभीर चोट पहुंचाने के लिए उकसाता है. उकसाने की वजह से B, Z की बहुत ज्यादा पिटाई कर देता है. जिसके कारण Z की जान चली जाती है. यहां अगर  A को पहले से पता था कि पिटाई से Z की जान जा सकती थी. तो ऐसे में A को  हत्या के लिए दोषी माना जाएगा और हत्या की सजा भी मिलेगी.