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क्या है IPC Section 111, जाने सजा का प्रावधान

भारत में किसी व्यक्ति को अपराध के लिए उकसाना कानून के नजर में दंडनीय है. धारा 111 के तहत इस बात का जिक्र है कि अगर आप किसी को बहका रहे हैं किसी अपराध के लिए तो बहकाने वाले को किस तरह की सजा मिलेगी. जब जिस अपराध के लिए उकसाया गया है. उस अपराध के बजाय कोई और अपराध हो जाए तो बहकाने वाले को क्या सजा मिलेगी. इसी के बारे में धारा 111 में बताया गया है.

Written By My Lord Team | Published : January 4, 2023 7:40 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में अपराध और उससे जुड़ी हर छोटी से बड़ी सजा के बारे में जानकारी दी गई है. आपको आईपीसी के चैप्टर पांच जो दुष्प्रेरण के (of Abetment) विषय में है उसके अंतर्गत आने वाली धारा 107, धारा 108,108A,109 और 110  के बारे में पूरी जानकारी आपको पहले ही दे दी है. चैप्टर पांच के ही धारा 111 के बारे में आइए आसान भाषा में समझते हैं.

क्या है IPC Section 111

भारत में किसी व्यक्ति को अपराध के लिए उकसाना कानून के नजर में दंडनीय है. धारा 111 के तहत इस बात का जिक्र है कि अगर आप किसी को बहका रहे हैं किसी अपराध के लिए तो बहकाने वाले को किस तरह की सजा मिलेगी. जब जिस अपराध के लिए उकसाया गया है. उस अपराध के बजाय कोई और अपराध हो जाए तो बहकाने वाले को क्या सजा मिलेगी. इसी के बारे में धारा 111 में बताया गया है.

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Section 111 की परिभाषा

इसके अनुसार "दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है- जब किसी एक कार्य का दुष्प्रेरण किया जाता है, और कोई भिन्न कार्य किया जाता है, तब दुष्प्रेरक उस किए गए कार्य के लिए उसी प्रकार से और उसी दायित्व के अधीन है, माना उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो:

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परन्तु-यह तब जब किया गया कार्य दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम था और उस उकसाहट के असर के अधीन या उस सहायता से या उस षड्यंत्र के अनुसरण में किया गया था जिससे वह दुष्प्रेरण गठित होता है".

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आसान भाषा में -अगर किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए  उकसाया, बहकाया, उस अपराध को अंजाम देने के लिए कोई हथियार दिया, कोई साजिश की, और उसके बहकावे में आए व्यक्ति ने उस अपराध को अंजाम न देकर किसी और अपराध को अंजाम दे दिया है. साथ ही उस नए अपराध में बहकाए गए व्यक्ति के दिए गए हथियार का भी इस्तेमाल कर लिया.

तो बहकाने वाले को हो चुके अपराध के लिए ही सजा मिलेगी. यानि जिस अपराध को करने के लिए उकसाया गया था लेकिन वहां वो अपराध ना होकर जिसे बहकाया गया था उसने किसी दुसरे अपराध को अंजाम दे दिया तो बहकाने वाले को हो चुके अपराध की ही सजा मिलेगी.

 इस आधार पर मिलती है सजा

बहकाने वाले को वो सजा इसलिए दी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बहकावे में आए व्यक्ति ने किसी दूसरे अपराध को अंजाम इसलिए दिया क्योंकि उसने ही किसी अपराध के उद्देश्य से उस व्यक्ति को भेजा था.

जैसे-

1. A ने आपराधिक मनशा से किसी बच्चे को Z के खाने में जहर मिलाने को कहा. तब बच्चे ने बहकावे में आकर जहर तो मिला दिया लेकिन Z के जगह Y के खाने में. जिससे Y की मौत हो जाती है. यहां बच्चे को जहर A ने दिया था. बच्चे ने A के ही बहकावे में आकर जहर दिया है भले हि उसने Z की जगह Y के खाने में मिलाया है फिर भी A को Y के हत्या के लिए दोषी माना जाएगा.

2.A ने B को Z का घर जलाने के लिए बहकाया. B जब उसका घर जलाने जाता है तब उसके घर में आग लगाने के साथ चोरी भी कर लेता है. ऐसे में A को चोरी के लिए दोषी ना मानकर घर जलाने के लिए दोषी माना जायेगा. इसलिए क्योंकि चोरी एक अलग अपराध है. घर जलाने से उसका कोई लेना देना नहीं है.

3. A ने B और C को आधी रात में किसी घर में घुस कर चोरी करने के लिए बहकाया, उन्हे हथियार भी दिये और योजना बनाई. जब B और C चोरी करने घर में घुसते हैं तब Z उन्हे रोकने की कोशिश करता है. B और C में से कोई एक Z की A के दिए गए हथियार से हत्या कर देता है. तो ऐसे में A पर हत्या का केस होगा