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IPC Section 108,108A क्या हैं, कब लगाई जाती हैं ये धाराएं

भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के अनुसार दुष्प्रेरण का अपराध पूरा होने के लिए अपराध का पूरा होना जरुरी नहीं है. अपराध हो या ना हो उकसाना ही अपराध है.

Written By My Lord Team | Published : January 2, 2023 1:43 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में अपराध और उससे जुड़े हर छोटी सी बड़ी सजा के बारे में जानकारी दी गई है. भारतीय दंड संहिता की धारा 108 चैप्टर पांच का हिस्सा है. धारा 107, धारा 108 और 108A से मिलती जुलती हैं. कैसे, कब धारा 108 और 108A लगाई जाती हैं,आईए आसान भाषा में समझते हैं.

क्या है धारा 108 (Abetment of an Offence)

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 108 (Abetment of an Offence) में दुष्प्रेरक (Abettor) के बारे में बताया गया है. दुष्प्रेरक यानि उकसाने वाला व्यक्ति. यानि कि वो व्यक्ति जो किसी को किसी अपराध के लिए उकसाता है.

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कब लगाई जाती है धारा 108

IPC की धारा 108 के तहत जो व्यक्ति अपराध के लिए दुष्प्रेरण (Abets an Offence) करता है, किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है या ऐसे काम के लिए उकसाता है जो अपराध होता है, या फिर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा उकसाया जाता है जिनपर लोगों को अपराध को रोकने की जिम्मेदारी हो वह व्यक्ति दुष्प्रेरक कहलाता जाता है, यानी जो दुष्प्रेरण (Abets) करने वाले, बहकानेवाले या उकसानेवाले व्यक्ति को दुष्प्रेरक (Abettor) कहा जाता है,

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धारा 108 की अहम बातें

इस धारा के अनुसार कुछ लोग स्वाभाविक अपराधी होते हैं जो जानबूझ कर अपराध करते हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होते हैं.

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अधिकतर अपराध जो आम लोगों के द्वारा किया है वो किसी ना किसी कारण होता है. जिसका सबसे बड़ा कारण उकसाना.

किसी भी अपराध को करने में उकसाने यानि कि दुष्प्रेरण का बहुत बड़ा हाथ होता है. कई बार व्यक्ति किसी अपराध को नहीं करना चाहता लेकिन उकसाने वाला उसे इस तरह से Manipulate करता है कि झांसे में वो व्यक्ति आ जाता है सही गलत का फर्क भूल जाता है. इस धारा के तहत दुष्प्रेरण को अपराध माना गया है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के अनुसार दुष्प्रेरण का अपराध पूरा होने के लिए अपराध का पूरा होना जरुरी नहीं है. अपराध हो या ना हो उकसाना ही अपराध है.

जैसे-

अगर राम ने श्याम को राजेश की हत्या के लिए उकसाया लेकिन श्याम ने राजेश की हत्या नहीं की फिर भी राम श्याम को हत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी होगा.

दुष्प्रेरण के तहत ऐसा जरुरी नहीं है किसी के उकसाने पर अपराध हो ही गया हो, अगर उकसाने के बाद भी अपराध ना हो तो भी उसे अपराध ही माना जायेगा.

जैसे-

राम ने श्याम को राकेश की हत्या के लिए उकसाया.अगर श्याम उसके बहकावे में आकर राकेश की हत्या कर देता है या फिर राकेश बच जाचा है उसे सिर्फ चोट लग जाती है. तो ऐसी स्थिति में भी राम दिनेश को हत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया जायेगा.

धारा 108 A

अगर कोई किसी को भारत में किसी दूसरे देश में जाकर अपराध करने के लिए उकसाता है तो क्या उकसाने वाले को सजा मिलेगी. इसका जवाब धारा 108 A में छुपा हुआ है.

धारा 108 A कहता है कि अगर दुष्प्रेरक (उकसाने वाला) भारत में किसी को किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरण (उकसाना) करता है. अगर दुष्प्रेरण के प्रभावित व्यक्ति विदेशों में जाकर उस अपराध को अंजाम देता है. तो ऐसी हालत में भी दुष्प्रेरक दोषी माना जाएगा और उसे सजा मिलेगी. यानि कि अगर कोई व्यक्ति भारत में किसी व्यक्ति को दुसरे देश में जाकर किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है तो ऐसी स्थिति में उकसाने वाला दोषी होगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपराध कहां हुआ है. अगर भारत के अंदर उकसाया गया है तो उकसाने वाला अपराधी होगा.

जैसे -

राम और श्याम दोनों भारत के रहने वाले हैं. राम ने श्याम को कहा कि राजेश जो जापान में रहता है जाकर उसकी हत्या कर दो. तो श्याम ने राम के बहकावे में आकर जापान में रह रहे राजेश की  हत्या कर दी. ऐसे में हत्या के लिए उकसाने वाला राम भी दोषी होगा.