Interim Bail क्या होती है और किन परिस्थितियों में दी जाती है ये
किसी भी व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए दोषी साबित होने तक उसके निर्दोष होने की अवधारणा को जमानत के माध्यम से उजागर किया जाता है, जो भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए अंतरिम जमानत तब दी जाती है जब अदालत निश्चित है कि ऐसा करने से आरोपी को अनुचित रूप से कैद या हिरासत में लेने से रोका जा सकेगा.
Written By My Lord Team | Published : January 6, 2023 4:58 AM IST
नई दिल्ली: हमारे देश के संविधान मेंं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और उसे मौलिक अधिकार का दर्ज़ा दिया गया है. आपराधिक कानून के अंतर्गत जमानत का मूल उद्देश्य व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बनाए रखना ही है. जमानत का सीधा सा मतलब एक आश्वासन होता है कि जब भी आवश्यक होगा, तब आरोपी अदालत में पेश होगा और मामले की जांच और सुनवाई में पूरा सहयोग करेगा.
किसी भी व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए दोषी साबित होने तक उसके निर्दोष होने की अवधारणा को जमानत के माध्यम से उजागर किया जाता है, जो भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए अंतरिम जमानत तब दी जाती है जब अदालत निश्चित है कि ऐसा करने से आरोपी को अनुचित रूप से कैद या हिरासत में लेने से रोका जा सकेगा.
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अंतरिम जमानत हमारे देश की न्यायपालिका का एक ऐसा नियम है, जिसे किसी विशेष धारा या अधिनियम के तहत परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन देश की अदालतों द्वारा कई मामलों में आरोपी को अंतरिम जमानत दी जाती है.
अंतरिम जमानत का मूल उद्देश्य किसी आरोपी या अपराधी को दोषी साबित होने से पूर्व एक राहत के तौर पर व्यक्तिगत आजादी के लिए दी जाती है.
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अंतरिम जमानत, ऐसी जमानत है जो किसी आरोपी को एक अस्थायी अवधि के लिए दी जाती है. यह आम तौर पर तब दी जाती जब उस आरोपी द्वारा दायर किया गया अग्रिम जमानत या नियमित जमानत या कोई अन्य आवेदन न्यायालय के समक्ष लंबित पड़ा हो. जमानत देते समय अदालत आरोपी पर कुछ शर्तें लगा सकता है, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा.
अंतरिम जमानत का आधार
जब आरोपी द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर किया गया कोई आवेदन लंबित हो, इसमें डिस्चार्ज, नियमित जमानत या अग्रिम जमानत के लिए आवेदन शामिल है.
अग्रिम जमानत की अर्ज़ी पर सुनवाई को यदि अदालत द्वारा टाल दिया जाता है, तो इस स्थिति में भी अंतरिम जमानत दी जा सकती है.
यह जमानत तब भी दी जाती है जब अदालत को ऐसा लगे कि आरोपी को जेल में या हिरासत में रखने का कोई पुख्ता कारण नहीं है.
आरोपी को स्वास्थ्य कारणों से परेशानी है और उसके उपचार की नियमित जरूरत हो सकती है, जिसके लिए उसे जमानत देना अनिवार्य है.
किसी कैदी के किसी निकट रिश्तेदार की मृत्यु होने की स्थिति में या बीमार होने की स्थिति में भी दी जाती है अंतरिम जमानत.
आरोपी या किसी कैदी के निकट रिश्तेदार की शादी के मौके पर भी अदालते अंतरिम जमानत देती रही है.
अदालतों के फैसलों की नजीर
होरी लाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2009) के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि याचिकाकर्ता की पत्नी को सर्जरी (Surgery) की आवश्यकता और याचिकाकर्ता की पत्नी के वृद्ध पिता के अलावा, पत्नी की देखभाल करने वाला कोई और नहीं है. इसलिए, याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए.
प्रिया रंजन बनाम ओडिशा राज्य (2021) के मामले में, आरोपी की माँ की अचानक मृत्यु होने के कारण अंतरिम जमानत की याचिका दायर की थी. जिससे हाई कोर्ट ने स्वीकार किया और आरोपी को अंतरिम जमानत दी.
जमानत की शर्ते
आवेदक जब भी आवश्यक हो पूछताछ के लिए स्वयं को उपलब्ध कराएगा यानि वह पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेगा.
आवेदक किसी भी गवाह को धमकाएगा नहीं और उसे गवाही न देने के लिए मजबूर नहीं करेगा. आवेदक न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जा सकता है.
न्यायालय कोई भी अन्य शर्त लगा सकते हैं, जो उसे अनुकूल लगती हों जैसे कि जमानत बॉन्ड (Bail Bond)/शिकायतकर्ता या गवाह से कोई संपर्क नहीं करना.