In camera कार्यवाही क्या होती है और कब की जाती है
नई दिल्ली: कोर्ट द्वारा बंद कमरे में की जाने वाले कार्यवाही को इन - कैमरा (In-camera) कार्यवाही कहते है. केस में शामिल पक्षों की पहचान को छुपाने के लिए इन - कैमरा कार्यवाही की जाती है. इस तरह की कार्यवाही बंद कमरे में या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाती है, इस कार्यवाही में जनता और मीडिया को रहने की अनुमति नहीं होती है. सिर्फ केस से संबंधित लोगों को ही इसमें रहने की अनुमति होती है. इन - कैमरा कार्यवाही का जिक्र दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) 1973 (CrPC) की धारा 327 में और पारिवारिक न्यायालय अधिनियम (The Family Courts Act) 1984 की धारा 11 में किया गया है.
CrPC की धारा 327
CrPC की धारा 327 में बताया गया है की बलात्कार जैसे केस को कोर्ट में नहीं बल्कि बंद कमरा में चलाए जाए ताकि पीड़ित की पहचान को छुपाई जा सके. अगर कोर्ट में केस चलाई जाएगी तो पीड़ित के बारे में सबको पता चल जाएगा. जिसके बाद उसे सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकती है.
CrPC की धारा 327 की मुख्य बिंदुएं
इस धारा में यह भी बताया गया है कि यदि हो सके तो मामला महिला जज या महिला मजिस्ट्रेट द्वारा ही चलाया जाए.
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इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो उसे CrPC की धारा 327(3) और हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) 1955 की धारा 22 के तहत अपराध माना जाएगा और उसे एक हजार रुपये तक का आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 11 में कहा गया है की पारिवारिक मामलों के केस में अगर कोई भी पक्ष इन - कैमरा कार्यवाही करवाना चाहे तो करवा सकते है.
इन - कैमरा कार्यवाही कब की जाती है
इन कैमरा कार्यवाही उन मामलों में की जाती है जब किसी की पहचान को छुपाना अनिवार्य होता है जैसे की रेप पीड़िता, गैंगरेप पीड़ित, नपुंसकता का केस, कोई अधिकारी पे लगा रेप का आरोप या कोई भी अन्य सम्मानित व्यक्ति जिसकी अच्छी छवि हो लेकिन, अगर उसके ऊपर लगे आरोप के बारे में सबको पता चलेगा तो उसकी छवि खराब हो सकती है. गवाहों को अपराधी से ख़तरा ना हो इसलिए भी इन कैमरा कार्यवाही की जाती है.
हमारे देश में इन कैमरा कार्यवाही आम तौर पर पारिवारिक मामलों में (होता) है जैसे की तलाक, न्यायिक अलगाव (Judicial Separation) या कोई और ऐसा केस जिसे कोर्ट में चलाने से उनका छवि खराब होगा. पारिवारिक मामलों में दोनों पक्षों में से कोई एक भी पक्ष अगर चाहे तो इन कैमरा कार्यवाही करवा सकता है.
आतंकवादी गतिविधियों के गवाहों के बयान भी इन कैमरा (बंद कमरे) में ही लिये जाते हैं ताकि उन्हें आतंकवादियों से खतरा न हो और आतंकवादियों के केस की सुनवाई भी बंद कमरे में ही सिर्फ अधिकारियों की मौजूदगी में होती है ताकि कार्यवाही के बीच में कोई समस्या ना आये.