Advertisement

Delhi Excise Policy Case: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में बुरे फंसे अरविंद केजरीवाल, जानें किन गड़बड़ियों के चलते ED ने किया गिरफ्तार

ईडी के नौ समन की अनदेखी और दिल्ली हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से इंकार करने के बाद अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार हुए हैं. अरविंद केजरीवाल पर शराब नीति घोटाले में पैसे की हेराफेरी का आरोप है. शराब नीति में सरकारी ठेकें बंद करके निजी कंपनियों को लाइसेंस देने से जुड़ा है,शराब से मिलने वाला राजस्व 300 से 3 पैसे करीब आ गया है. आइये जानते हैं पूरे मामले को..

Written By My Lord Team | Updated : March 22, 2024 5:13 PM IST

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद को ईडी ने बीते रात (21 मार्च 2024) गिरफ्तार किया है. आरोप शराब नीति मामले में पैसों की लेन-देन में हेराफेरी का है. ED ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मुकदमा दर्ज किया है. यह कार्रवाई दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज करने के बाद हुई. दिल्ली के सीएम अब तक ईडी के नौ समन की अनदेखी कर चुके थे. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी हैं कि शराब नीति में ऐसी क्या गड़बड़ी की गई, भ्रष्टाचार का विरोध कर, लोकपाल लाने की मांग करने वाली पार्टी के कद्दावर नेताओं को जेल जाना पड़ रहा है. आइये जानते हैं शराब नीति में हुए गड़बड़ियों के हर पहलू से, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तक....

अरविंद केजरीवाल हुए गिरफ्तार

अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद पार्टी के सुप्रसिद्ध चेहरे, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह आदि सभी शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं, जेल में बंद हैं.

Advertisement

दिल्ली शराब नीति घोटाला क्या हैं?

17 जनवरी 2021, आम आदमी पार्टी की सरकार ने राज्य में  शराब या आबकारी नीति लागू की. नये कानून के अनुसार, राज्य में सरकारी शराब की दुकान को बंद करके सारे ठेके प्राइवेट कर दिए गए. वहीं,  पहले 60% शराब की दुकानें सरकारी थी, 40 % प्रतिशत निजी. उसे नये कानून के अनुसार, 100% ही निजी कर दी गई. नीति के अनुसार, राज्य को 32 भागों में बांटा गया, हर भाग में 27 शराब की दुकानें खोलने की बात कहीं गई. कुल 849 शराब की दुकानें खोलने की बात तय थी. 

Also Read

More News

शराब नीति से राज्य को कैसे फायदा?

दिल्ली सरकार ने दावा किया. राज्य की नई शराब पॉलिसी से करबी 3500 करोड़ रूपये का लाभ होगा. राज्य ने शराब लाइसेंस फीस भी कई गुणा बढाई गई. परिणामस्वरूप, पहले जिस एल-1 लाइसेंस को लेने में पांच लाख रूपये लगते थे, अब उसकी कीमत पांच करोड़ रूपये हो गई. एल-1 लाइसेंस कंपनियों को थोक बिक्री के लिए दी जाती है. 

Advertisement

300 रूपये से तीन पैसे प्रति बोतल लाभ गिरा

शराब से होने वाली दिल्ली सरकार की राजस्व में भारी गिरावट देखी गई. पुरानी नीति के अनुसार, राज्य को एक 750 एमएल की कीमत 530 रूपये होती थी, बिकने पर राज्य को प्रति बोतल 329.89 रूपये मिलते थे जिसमें उत्पाद कर 223.89 रूपये और 106 रूपये वैट होता था. रिटेलर को 3.35 रूपये का मुनाफा होता था. 

नई नीति के अनुसार, 750 एमएल की बोतल पर राज्य का मुनाफा 3.78 पैसे रह गया. वहीं, रिटेलर का मुनाफा 363.27 तक पहुंच गया. 

बुरे फंसे केजरीवाल

राज्य के राजस्व में भारी कमी देखी गई. वहीं, आप पर आरोप लगने शुरू हो गए. आरोप लगा कि राज्य कोष को नुकसान पहुंचा कर पार्टी ने अपना मुनाफा बनाया है. ईडी ने समन भेजा, अरविंद केजरीवाल ने नौ समन की अनदेखी की. समन प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दिया गया था. 

वहीं, ईडी ने आरोप लगाया है कि जब एक्साइड पॉलिसी 2021-2022 लाई जा रही थी, उस दौरान केजरीवाल आरोपियों के संपर्क में थे. 

क्या है मामला? 

20 जुलाई 2022 को, दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने सीबीआई के पास शिकायत  दर्ज कराया. कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने  17 अगस्त, 2017 के दिन केस दर्ज किया. और ईडी ने 22 अगस्त के दिन इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.