कानून की नजर में रिश्वत क्या है? IPC में क्या है सजा का प्रावधान
नई दिल्ली : हमारे देश में किसी भी सरकारी अधिकारी या सराकर के लिए काम करने वाले व्यक्ति को वेतन दिए जाते हैं. अगर यही व्यक्ति वेतन से अलग काम करने के लिए पैसे लेते हैं तो वह रिश्वत की श्रेणी में आएगी. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (The Prevention of Corruption Act, 1988) की धारा 7, 8, 11 और 12 के तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने काम के लिए जनता से पैसा लेता है तो वह रिश्वत की श्रेणी में आएगी. कानून के अनुसार रिश्वत लेना और रिश्वत देना दोनों ही जुर्म है. रिश्वत देने वाले को रिश्वत लेने वाले का सहयोगी माना जाता है, इसलिए रिश्वत देना भी जुर्म है.
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (The Prevention of Corruption Act, 1988) की धारा 7, 8, 11 और 12 क्या कहती है ?
PC Act की धारा 7
इस धारा में बताया गया है की अगर कोई लोक सेवक (Public Servant) किसी से अपने लिए या किसी ओर के लिए पैसे लेता है या लेने की कोशिश करता है तो वह रिश्वत की श्रेणी में आएगी। इस अपराध के लिए अपराधी को तीन से सात साल तक की कारावास हो सकती है और आर्थिक जुर्माना भी लगायी जा सकती हैं.
PC Act की धारा 8
इस धारा में बताया गया है की अगर कोई लोक सेवक (Public Servant) किसी से अवैध काम करने के लिए कोई उपहार भेंट में लेते है जैसे की पैसा, जेवरात या कोई और चल या अचल संपत्ति तो वह रिश्वत की श्रेणी में आएगी. अगर कोई लोक सेवक उचित एवं वैध कार्य के किसी से उपहार लेते है तो वह अपराध होगा जिसके लिए उसे कम से कम पांच साल की कारावास होगी. जिसे दस साल तक बढ़ाई जा सकती है और आर्थिक जुर्माना भी लगाई जा सकती हैं.
उपहार देना कब रिश्वत नहीं होगी ?
जब किसी को उचित और वैध काम के लिए उपहार दिया जाए तो वह रिश्वत की श्रेणी में नहीं आएगी.
PC Act की धारा 11
इस धारा में बताया गया है की अगर कोई लोक सेवक किसी काम के लिए अपने लिए या किसी ओर के लिए कोई मूल्यवान वस्तु प्राप्त करते है या प्राप्त करने की कोशिश करते है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगी. इस अपराध के लिए अपराधी को छह महीने से पांच साल तक की कारावास हो सकती है और आर्थिक जुर्माना भी लगाई जा सकती हैं.
PC Act की धारा 12
इस धारा में धारा 7 और धारा 11 के तहत अपराध करने वाले के लिए सजा का बारे में बताया गया है. इस धारा के तहत अगर अपराधी को कम से कम तीन साल की कारावास हो सकती है जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018
भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम (The Prevention of Corruption (Amendment) Act), 2018 के आने के बाद रिश्वत लेना ही नहीं रिश्वत देना भी जुर्म हो गया है.इस संशोधन के पहले सिर्फ रिश्वत लेना ही जुर्म था, रिश्वत देना जुर्म नहीं था. इस संशोधन के बाद पुलिस किसी भी सरकारी कर्मचारी की गलत तरह से अर्जित संपति की कुर्क कर सकती है लेकिन पहले उन्हें कोर्ट का आदेश लेना होगा, किसी भी सरकारी और पूर्व सरकारी कर्मचारी पर बिना केंद्र सरकार या राज्य सरकार की अनुमती के बिना केस नहीं चलाया जा सकता है.