Angel Tax में छूट क्यों मिलती है, स्टार्टअप्स को इससे क्या है फायदा
एंजेल टैक्स की शुरुवात भारत में वर्ष् 2012 में हुई थी. हालाँकि यह धारा स्टार्ट-अप्स के लिए एक चिंता का विषय रही है क्योंकि भारत में स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर भी इस धारा के तहत भारी टैक्स लगाया जाता है. बाद में स्टार्ट-अप्स की बढ़ती तादाद देखकर, भारत सरकार ने उनको बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की. इसी राह पर चलते हुई स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाने हेतु, सरकार ने 19 फरवरी 2019 में अधिसूचना (Notification) जारी की और स्टार्ट-अप्स को "एंजेल टैक्स" से पर्याप्त छूट दी.
Written By My Lord Team | Published : January 3, 2023 7:02 AM IST
जब कोई स्टार्टअप या अन्य कंपनी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए फंड जुटाती हैं, तो वह पैसों के बदले में निवेशक को अपने कंपनी के शेयर देती हैं. आम तौर पर यह शेयर Market Value से अधिक मूल्य पर दिया जाता है. इस स्थिति में आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (viib) के तहत शेयर के मार्किट मूल्य और निवेशक द्वारा दिए गए मूल्य के अंतर को कंपनी की आय (Income) मान लिया जाता है और उस पर टैक्स लगाया जाता है. इसे आम भाषा में “एंजेल टैक्स (Angel Tax)” कहा जाता है.
एंजेल टैक्स की शुरुवात भारत में वर्ष् 2012 में हुई थी. हालाँकि यह धारा स्टार्ट-अप्स के लिए एक चिंता का विषय रही है क्योंकि भारत में स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर भी इस धारा के तहत भारी टैक्स लगाया जाता है. बाद में स्टार्ट-अप्स की बढ़ती तादाद देखकर, भारत सरकार ने उनको बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की. इसी राह पर चलते हुई स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाने हेतु, सरकार ने 19 फरवरी 2019 में अधिसूचना (Notification) जारी की और स्टार्ट-अप्स को "एंजेल टैक्स" से पर्याप्त छूट दी.
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क्या है एंजेल टैक्स छूट
स्टार्ट-अप्स को धारा 56(2) (viib) के अंतर्गत लगाए जा रहे टैक्स से छूट देने के लिए अधिसूचना जारी की गई. इसके तहत यदि कोई स्टार्टअप, जिसको उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) से मान्यता प्राप्त है और कोई निवासी निवेशक (Resident Investor) उसमें निवेश करता है तो स्टार्टअप को उस निवेश पर टैक्स देने की कोई आवश्यकता नहीं है.हालांकि, यह टैक्स छूट कुछ शर्तों को पूरा करने पर ही लागू होती हैं.
किन शर्तों को पूरा करने पर मिल सकती है स्टार्ट-अप्स को टैक्स छूट
डीपीआईआईटी (DPIIT) से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप होनी चाहिए.
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शेयर के प्रस्तावित निर्गमन (Issuance) के बाद स्टार्टअप की चुकता शेयर पूंजी (Paid-up Share Capital) और शेयर प्रीमियम की कुल राशि, INR 25 करोड़ से अधिक नहीं हो.
यदि कोई स्टार्ट-अप उपरोक्त शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, तो ऐसे स्टार्टअप को दी गई एंजल टैक्स (Angel Tax) से छूट रद्द कर दी जाएगी और ऐसे स्टार्टअप को निवेश के ऊपर टैक्स देना पड़ेगा.
इसके अलावा, यह भी माना जाएगा कि स्टार्टअप ने अपनी आय (Income) को कम रिपोर्ट किया है और वह धारा 270ए के तहत परिणामों के लिए उत्तरदायी होगा, यानि कम रिपोर्ट की गई आय पर दिए जाने वाले एंजेल टैक्स (Angel Tax) की राशि के 200% के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है.
आपके व्यवसाय का प्रकार क्या है, इसके बारे में एक लेख के रूप में जानकारी देनी होगी. जिसके तहत आपको ये बताना होगा कि आपके उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं के नवाचार, विकास या सुधार की दिशा में कैसे काम कर रहा है, या रोजगार बढ़ाने या धन कमाने के संदर्भ में इसका क्या योगदान है.
3. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) कुछ अन्य दस्तावेज़ों की मांग कर सकता है. उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच करने के बाद निर्णय लेगा कि स्टार्टअप को मान्यता दी जानी चाहिए या नहीं.
भारत सरकार द्वारा, ऐसे ही कई कदम उठाए गए हैं जिससे स्टार्टअप और उद्यमिता को बहुत बढ़ावा और प्रोत्साहन मिला है. स्टार्टअप को और समर्थन देने के उद्देश्य से सरकार ने उन्हें एंजेल टैक्स छूट भी प्रदान की है. इससे स्टार्ट-अप्स को फंड (Fund) जुटाने में आसानी होगी और यह स्टार्ट-अप्स के विकास में भी मदद करेगा.