NTA में क्या-क्या बदलाव की जरूरत है? सुप्रीम कोर्ट ने सुधार के लिए बनी एक्सपर्ट कमेटी को दिए सुझाव
हाल ही में नीट यूजी परीक्षा को दोबारा से कराने इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को आगे से परीक्षा कंडक्ट कराने में फ्लिप-फ्लॉप कडीशन से बचने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी में सुधार के बनी एक्सपर्ट कमेटी को सुधार के पहलुओं पर निर्देश दिए हैं.
पेपर लीक के विरोध के बीच केन्द्र ने 22 जून को एक कमेटी का गठन किया जो एनटीए में लूपहोल्स की जांच करती. सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्सपर्ट कमेटी को भी सलाह दिए हैं.
नीट यूजी जैसा ढुलमुल रवैया छात्रों के हित में नहीं हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने नीट परीक्षा को कंडक्ट कराने में हुई गड़बड़ियों से नाराजगी जाहिर की.
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सीजेआई ने कहा,
"एनटीए को इस तरह की लापरवाही से बचनी चाहिए. एनटीए का ये ढुलमुल रवैया छात्रों के हित में नहीं हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने, NTA द्वारा छात्रों को इक्जाम सेंटर बदलने के लिए दोबारा से समय देने व 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने पर, सवाल उठाया है.
एनटीए में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए बनी एक्सपर्ट कमेटी परीक्षा लेने की प्रक्रिया को फूलप्रूफ बनाने के तरीकों की जांच कर रही हैं. एक्सपर्ट कमेटी परीक्षा कंडक्ट कराने के लिए स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसीजर (SOP) तैयार करेगी. वहीं रजिस्ट्रेशन के लिए समय-सीमा, OMR शीट के रख-रखाव, परीक्षा सेंटर देने व सेलेक्ट करने के तरीके आदि पर अपनी रिपोर्ट सोंपेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को कुछ निर्देश दिए हैं जो हैं;
- कैंडिडेट को इक्जाम सेंटर अलॉट करने की प्रोसेस की समीक्षा
- परीक्षा केन्द्रों पर लगे सीसीटीवी निगरानी की व्यवहार्यता
- प्रश्न पत्रों की छपाई, उन्हें इक्जाम सेंटर पर पहुंचाने की प्रक्रिया की समीक्षा
- नजदीकी सेंटर से परीक्षा केन्द्र तक पेपर ले जाने के लिए वाहनों की समीक्षा करें, ई-रिक्सा की जगह लंबे वाहनों की उपयोगिता की जांच करें,
- छात्रों की आइडेंटिटी चेक के स्टेज को बढ़ाए, तकनीकों का सहयोग लें, और निजका का ख्याल रखें
अदालत ने एक्सपर्ट कमेटी को अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर 2024 तक तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं रिपोर्ट जारी होने के बाद शिक्षा मंत्रालय को इसे महीने भर के अंदर लागू करना होगा. वहीं, इस मामले की वस्तुस्थिति से अदालत को तय डेट के दो हफ्ते के भीतर अवगत कराना होगा.