विवेकानंद रेड्डी हत्या केस: Telangana HC ने YSR Cong के सांसद वाई एस अविनाश रेड्डी को दी अंतरिम जमानत
नई दिल्ली: विवेकानंद रेड्डी हत्या कांड (Vivekananda Reddy Murder Case) में तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) ने वाईएसआर कॉंग्रेस पार्टी (YSR Congress Party) के सांसद वाई एस अविनाश रेड्डी को अंतरिम जमानत दे दी है। बता दें कि पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी, जिनकी हत्या हुई थी, वो आरोपी अविनाश रेड्डी के रिश्तेदार थे।
न्यायधीश एम लक्ष्मण ने किया ये ऑर्डर
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस एम लक्ष्मण (Justice M Laxman) ने अविनाश रेड्डी (YS Avinash Reddy) को अंतरिम जमानत तो दे दी है लेकिन साथ में उनसे यह भी कहा है कि जब तक मामले की जांच-पड़ताल चल रही है, वो बिना अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति एम लक्ष्मण ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करना चाहिए और जून 2023 के अंत तक प्रत्येक शनिवार को सुबह दस बजे से शाम पांच बजे के बीच सीबीआई पुलिस के समक्ष पेश होना चाहिए, साथ ही जरूरत पड़ने पर नियमित रूप से पेश होना चाहिए।’’
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साथ ही, ऑर्डर में जस्टिस लक्ष्मण ने अविनाश रेड्डी से कहा कि वो जून, 2023 के अंत तक हर शनिवार को सुअह 10 बजे से शाम 5 बजे तक सीबीआई पुलिस (CBI Police) के सामने प्रस्तुत होंगे।
विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आई एस अविनाश रेड्डी पर उनके रिश्तेदार और पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी की हत्या का आरोप लगा है जिसके लिए वो इस साल कम से कम पांच बार सीबीआई के सामने प्रस्तुत हो चुके हैं। उन्होंने तेलंगाना हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका फाइल की थी जिसके आधार पर अब उन्हें जमानत मिल गई है।
अविनाश रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के रिश्ते के भाई हैं । पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी आरोपी के चाचा थे।
बता दें कि 15 मार्च, 2019 की रात को, विवेकानंद रेड्डी का उन्हीं के घर में मर्डर हो गया था। जुलाई, 2020 में इस केस को सीबीआई को दे दिया गया था। अविनाश रेड्डी को 19 मई को पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने पेश होने के लिए कहा गया था लेकिन वह अपनी मां की बीमारी और अस्पताल में इलाज का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए थे।
इसके बाद जांच एजेंसी ने उन्हें एक और नोटिस जारी कर 22 मई को पेश होने को कहा।
भाषा के अनुसार, इस मामले की जांच शुरू में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के विशेष जांच दल ने की और जुलाई 2020 में यह जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 26 अक्टूबर 2021 को एक आरोप पत्र दाखिल किया और फिर 31 जनवरी 2022 को एक पूरक आरोप पत्र दाखिल किया।