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Dudhsagar Dairy के अध्यक्ष रह चुके Vipul Chaudhary को गुजरात की एक अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में सजा सुनाई

Dudhsagar Dairy Former President Vipul Chaudhary sent to Jail

'गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ' और 'दूधसागर डेयरी' के अध्यक्ष रह चुके विपुल चौधरी को गुजरात के मेहसाणा की एक अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में सजा सुनाई है। विपुल चौधरी के साथ कई अन्य लोगों पर भी आरोप थे, जानें क्या था मामला...

Written By Ananya Srivastava | Published : July 14, 2023 10:08 AM IST

गुजरात: मेहसाणा की एक अदालत (Mehsana Court) ने गुजरात के पूर्व मंत्री और दूधसागर डेयरी’ (Dudhsagar Dairy) के पूर्व अध्यक्ष विपुल चौधरी (Vipul Chaudhary) को धोखाधड़ी के मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई।

चौधरी पर आरोप था कि उन्होंने उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना महाराष्ट्र को पशुचारा आपूर्ति करके 2014 में डेयरी को 22.5 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया था।

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कौन हैं विपुल चौधरी?

मेहसाणा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (The Mehsana District Cooperative Milk Producers' Union Limited) को दूधसागर’ डेयरी के नाम से जाना जाता है। चौधरी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं। जीसीएमएमएफ (GCMMF) अमूल (Amul) ब्रांड का मालिक है।

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मेहसाणा की अदालत ने सुनाई सजा

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, मेहसाणा के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वाई आर अग्रवाल ने चौधरी और 14 अन्य को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के लिए दोषी ठहराया और सात साल की जेल की सजा सुनाई।

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जिन अन्य आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई गई है उनमें दूधसागर डेयरी के पूर्व बोर्ड सदस्य, इसके पूर्व उपाध्यक्ष जलाबेन ठाकोर और पूर्व प्रबंध निदेशक निशिथ बख्शी शामिल हैं।

गुजरात के सहकारी क्षेत्र का एक प्रमुख चेहरा चौधरी 1996 में शंकरसिंह वाघेला सरकार में मंत्री थे। अदालत ने 15 आरोपियों को आईपीसी (IPC) की धारा 406 (विश्वास का उल्लंघन), 465 (जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) के तहत दोषी ठहराया और उन्हें एक से चार साल तक की जेल की सजा सुनाई।

जानें क्या था पूरा मामला

चौधरी और अन्य के खिलाफ मेहसाणा 'बी' डिवीजन पुलिस स्टेशन में 2014 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, उस वक्त वह दूधसागर डेयरी के साथ-साथ जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष थे। पशुचारा खरीद में कथित भ्रष्टाचार को लेकर उन्हें जीसीएमएमएफ और दूधसागर डेयरी दोनों जगह से बर्खास्त कर दिया गया था।

प्राथमिकी के मुताबिक, डेयरी अध्यक्ष के तौर पर चौधरी ने 2014 में सूखा प्रभावित महाराष्ट्र में मवेशियों का चारा भेजने का फैसला लिया था। राज्य सरकार ने, हालांकि आरोप लगाया था कि 22.5 करोड़ रुपये का पशु चारा भेजने का निर्णय डेयरी की बोर्ड बैठक में कोई प्रस्ताव लाये बिना या कोई निविदा जारी किये बिना लिया गया था।