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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री रीजीजू के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज

बॉम्बे हाईकोर्ट केकार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने याचिका को विचार करने योग्य नही मानते हुए खाजिर करने के आदेश दिए है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : February 9, 2023 7:38 AM IST

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने याचिका को विचार करने योग्य नही मानते हुए खाजिर करने के आदेश दिए है.

उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री के खिलाफ ये जनहित याचिका देश की सर्वोच्च अदालत, न्यायपालिका और कॉलेजियम के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर दायर की गई थी.

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Bombay Lawyers Association की ओर से दायर की गई इस जनहित याचिका में देश की न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए दोनो के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था.

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कॉले​जियम पर दिए थे बयान

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने अध्यक्ष अहमद आबिदी ने जनहित याचिका में दावा किया था कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के बयान सुप्रीम कोर्ट सहित संवैधानिक संस्थानों पर हमला करके संविधान में विश्वास की कमी दिखा रहे हैं.

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याचिका में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री के गैर जिम्मेदाराना बयानों की वजह से सार्वजनिक रूप से सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा को कम किया है.

याचिका में आगे कहा गया है कि देश के संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री ने सार्वजनिक मंच पर खुले तौर पर कॉलेजियम प्रणाली और बुनियादी ढांचे के सिद्धांत पर हमला किया है. जो कि संविधान के तहत उपलब्ध किसी भी उपाय का उपयोग किए बिना सबसे अपमानजनक भाषा में न्यायपालिका पर सामने से हमला किया गया है

गौरतलब है कि किरेन रिजिजू लगातार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लेकर बयान देते आ रहे है. कानून मंत्री के बयानों की शुरूआत राजस्थान के उदयपुर में आयोजित हुई कॉन्फ्रेस से हुई थी. जहां पर राजस्थान हाईकोर्ट में जजो की नियुक्ति को लेकर सवाल हुए थे. इसके जवाब में पहली बार कानून मंत्री ने खुलकर कॉलेजियम प्रणाली पर हमला किया था. इसके बाद से ही लगातार कानून मंत्री कॉलेजियम सिस्टम को लेकर हमलावर रहें है.

फैसले पर सवाल

जयपुर दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी न्यायपालिका की शक्तियों पर “मूल संरचना” सिद्धांत पर सवाल खड़े कर NJAC अधिनियम को रद्द करने को गंभीर कदम बताया था. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1973 के ऐतिहासिक फैसले पर अपना बयान दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन इसकी मूल संरचना का नहीं.

याचिका में कानून मंत्री और उपराष्ट्रपति के बयानों को लेकर कहा गया था कि संवैधानिक पदों पर बैठे जिम्मेदार लोगों द्वारा इस तरह का व्यवहार बड़े पैमाने पर जनता की नज़र में सर्वोच्च न्यायालय की महिमा को कम कर रहा है. याचिका के साथ उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री द्वारा हालिया दिए गए बयानों को भी संलग्न किया गया है.

दिसंबर 2022 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की अध्यक्षता करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने को “लोगों के जनादेश” की अवहेलना बताया था-

याचिका के जरिए अदालत से अनुरोध किया गया है कि जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति के रूप में और केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका जाए.

सरकार का विरोध

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह केवल प्रचार के लिए दायर की गई तुच्छ याचिका है.

एएसजी ने जनहित याचिका को अदालत के समय की भारी बर्बादी बताते हुए कि इस याचिका में कि गई प्रार्थना को कैसे पूर्ण किया जा सकता है या अनुमति दी जा सकती है. एएसजी ने कहा कि उपराष्ट्रपति और मंत्री को हटाना केवल संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार हो सकता है.

एएसजी ने याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए भारी जुर्माना लगाने का अनुरोध किया.

क्या कहा हाईकोर्ट ने

दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि किस प्रावधान के तहत उपराष्ट्रपति को अदालत द्वारा अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता के जवाब से असंतुष्ट होते हुए पीठ ने जनहित याचिका पर विचार करने से ही इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया.