उत्तराखंड विधानसभा से पारित Uniform Civil Code को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, जानें नियमों में क्या होंगे बदलाव
Uniform Civil Code: बुधवार (14 मार्च, 2024) के दिन उत्तराखंड विधानसभा से पारित समान नागरिक संहिता, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) की मंजूरी मिल गई है. यह जानकारी राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने X ( पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करके दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद से उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने समान नागरिक संहिता को कानून बनाया है.
उत्तराखंड के सीएम ने दी जानकारी
इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर की. सीएम ने कहा, UCC राज्य में एकत्व और सामंजस्य की भावना बढ़ाएगी. साथ ही महिलाओं को समान अधिकार देने में बड़ी पहल करेगी.
हम सभी प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि हमारी सरकार द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को आदरणीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।
Also Read
- CJI के समर्थन में आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उनके प्रोटोकॉल की अनदेखी से जताई नाराजगी
- क्या विवेकाधिकार शक्तियों के तहत Supreme Court, राष्ट्रपति-गवर्नर पर डेडलाइन लगा सकता है? President द्रौपदी मुर्मू ने 14 सवाल और भी पूछे
- CJI बनते ही ट्विटर पर ट्रेंड करने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी, PM Modi सहित इन नेताओं ने दी बधाई
निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से…
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) March 13, 2024
UCC में 400 से ज्यादा धाराएं
उत्तराखंड UCC विधेयक के ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराएं होने की बात कहीं गई है. ड्राफ्ट कमेटी ने 780 पन्नों की रिपोर्ट दी है. इसे बनाने के दौरान ड्राफ्ट कमेटी ने कुल 72 बैंठकें की. वहीं, इस विधेयक को बनाने में तकरीबन 2 लाख 33 हजार लोगों ने अपने विचार रखें.
महिलाओं के लिए बराबर अधिकार
उत्तराखंड UCC बिल में महिला अधिकारों पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया है. इस बिल में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर लड़को के समान करने की बात है. बिल में बहुविवाह जैसे समाजिक कुरीतियों पर रोक लगाने का भी जिक्र है. UCC बिल में बेटियों को बेटों के समान विरासत में हक देने का प्रावधान है. साथ ही मुस्लिम महिलाओं को बच्चा गोद लेने के हक दिया गया है.
हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर रोक
उत्तराखंड UCC बिल में हलाला और इद्दत पर रोक लगाने की बात की कहीं गई है. ये मुद्दे हमेशा से ही विवादों में रही है. वहीं शादी से जुड़े मामले में भी बदलाव चर्चा का विषय बना हुआ है. बिल में कहा गया है कि अगर पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, मुआवजे में माता-पिता का हक होने का प्रस्ताव है. वहीं, पत्नी की मृत्यु होने पर उसके माता-पिता की जिम्मेदारी पति पर होगी. अगर पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद बढ़ जाने पर बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी दादा-दादी को दी जाएगी.
जनजाति समूह नहीं है शामिल
ये उत्तराखंड UCC बिल राज्य के 4% जनजाति समूहों पर लागू नहीं होगा. ये फैसला इन समूहों के कम जनसंख्या को ध्यान में रखकर लिया गया है. कुल मिलाकर, उत्तराखंड UCC विधेयक सामाजिक सुधारों और महिलाओं के अधिकारों पर जोर देता है, साथ ही पारदर्शिता और कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास करता है. हालांकि, कुछ समुदायों और मुद्दों को लेकर इस पर बहस जारी है.