UPSC Prelims की उत्तर कुंजी का समय से प्रकाशन जनहित हेतु जरूरी: याचिकाकर्ताओं ने Delhi HC से कहा
नई दिल्ली: संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के सत्रह असफल अभ्यर्थियों ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की "उत्तर कुंजी" का समय पर प्रकाशन सार्वजनिक हित में होता है क्योंकि इससे उम्मीदवारों को उनकी क्षमताओं का आकलन करने में मदद मिलती है।
समाचार एजेंसा भाषा के अनुसार न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने इस साल की शुरुआत में प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि यह एक "प्रतिष्ठित परीक्षा" है और याचिकाकर्ताओं को इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों को प्रतिवेदन देने की सलाह दी।
अदालत ने यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2023 को रद्द करने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं से यह भी कहा कि उन्हें पूरी प्रक्रिया में बाधा डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
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याचिकाकर्ता के वकील ने स्पष्ट किया कि वह केवल यूपीएससी द्वारा जारी जून के प्रेस नोट को लक्षित कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि उत्तर कुंजी केवल अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद ही प्रकाशित की जाएगी, तथा परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती देने वाले अनुरोध पर जोर नहीं दिया जाएगा।
यूपीएससी के वकील ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि केवल केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के पास आयोग द्वारा भर्ती से संबंधित मुद्दों से निपटने की शक्ति है।
दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका की पोषणीयता पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि व्यवस्था में "आकलन" का कोई साधन नहीं है क्योंकि कट ऑफ’ अंक का खुलासा नहीं किया जाता और उत्तर कुंजी एक साल बाद ही जारी की जाती है जब भर्ती की पूरी प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।
यूपीएससी के वकील ने कहा कि "परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता" की रक्षा की जानी चाहिए क्योंकि सिविल सेवा परीक्षाएं समयबद्ध तरीके से आयोजित की जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को सूचित किया कि यहां तक कि संसद की एक स्थायी समिति ने भी उम्मीदवारों को उत्तर कुंजी मुहैया कराये जाने का समर्थन किया है।
अदालत ने वकील से कहा, मैं आपको सिफारिश के आलोक में अभ्यावेदन देने की सलाह दे रहा हूं... और मैं उन्हें निर्णय लेने का निर्देश दे रहा हूं।’’ पिछले महीने, अदालत ने याचिकाकर्ताओं के उस याचिका को खारिज करते हुए सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा, 2023 के लिए आवेदन आमंत्रित करने के यूपीएससी के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे पूरे भर्ती चक्र के संचालन में आयोग की "मनमानी" से व्यथित हैं।