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Uniform Age of Marriage: SC ने खारिज की जनहित याचिका, कहा 'हम पहले भी खारिज कर चुके है'

याचिका में पुरुषों के बराबर महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की मांग की गई थी. भाजपा नेता और अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर ऐसी ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट फरवरी माह में खारिज कर चुका है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : March 27, 2023 10:33 AM IST

नई दिल्ली: देश में विवाह के लिए महिला और पुरूष के लिए एक समान न्यूनतम आयु की मांग वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया दिया है.

CJI DY Chandrachud की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में पुरुषों और महिलाओं की शादी की उम्र पर पर्सनल लॉ को लेकर चुनौती है. हम पहले ही ऐसी याचिका को खारिज कर चुके है,

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याचिका में पुरुषों के बराबर महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की मांग की गई थी. याचिका को खारिज करते हुए CJI ने कहा कि यह एक विधायी कार्य है और अदालत पहले ही फरवरी में इसी तरह की याचिका खारिज कर चुकी है.

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पितृसत्तात्मक रूढ़िवादिता

याचिका में अनुरोध किया गया कि भारत में पुरुषों को 21 वर्ष की आयु में विवाह करने की अनुमति है वहीं, महिलाओं को केवल 18 वर्ष की आयु में विवाह करने की अनुमति है. यह भेद पितृसत्तात्मक रूढ़िवादिता पर आधारित है, इसका कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है, यह वैधानिक और वास्तविक असमानता के विरुद्ध है.

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याचिका में कहा गया है कि छोटे आयुवर्ग की जीवनसाथी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने बड़े साथी का सम्मान करे और उसकी सेवा करे, जो वैवाहिक संबंधों में पहले से मौजूद लिंग आधारित निर्णय है.

गौरतलब है कि भाजपा नेता और अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर ऐसी ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट फरवरी माह में खारिज कर चुका है.

सीजेआई की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि भारत में पुरुषों के बराबर ही महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 की जानी चाहिए। प्रावधानों को खत्म करने से महिलाओं के लिए शादी की कोई उम्र नहीं होगी.

इसलिए याचिकाकर्ता एक विधायी संशोधन चाहते हैं. यह अदालत संसद को कानून बनाने के लिए आदेश जारी नहीं कर सकती. हम इस याचिका को अस्वीकार करते हैं, याचिकाकर्ता को उचित दिशा-निर्देश लेने के लिए खुला छोड़ देते हैं।'