किसी राशि के लिए कपटपूर्ण तरीके से Decree होने देना और हासिल करना, IPC के तहत है अपराध
भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) में 208 और 210 के तहत परिभाषित अपराध के अनुसार जो कोई व्यक्ति, किसी राशि के लिए धोख से अपने खिलाफ डिक्री (Decree) होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है, तो दोनों ही स्थिति में उसे दंडित किया जा सकता है. आइए जानते हैं IPC की धारा 208 और 210 के विषय में कुछ अहम बातें.
Written By My Lord Team | Published : January 10, 2023 8:41 AM IST
नई दिल्ली: एक आपराधिक कानून का मुख्य उद्देश्य कुछ मौलिक सामाजिक मूल्यों और संस्थानों की रक्षा और संरक्षण करना होता है. इसलिए यह मानव व्यवहार के मानदंडों को निर्धारित करता है और कुछ कार्यों को प्रतिबंधित करता है. यदि किसी व्यक्ति द्वारा इन निर्धारित मानदंडों और आचरणों की अवहेलना की जाती है तो उसे दंडित किया जा सकता है.
इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) में 208 और 210 के तहत परिभाषित अपराध के अनुसार जो कोई व्यक्ति, किसी राशि के लिए धोख से अपने खिलाफ डिक्री (Decree) होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है, तो दोनों ही स्थिति में उसे दंडित किया जा सकता है. आइए जानते हैं IPC की धारा 208 और 210 के विषय में कुछ अहम बातें.
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IPC की धारा 208
धारा 208 के तहत यदि कोई व्यक्ति कपटपूर्ण तरीके से किसी व्यक्ति के वाद (Civil Suit) में उस व्यक्ति को देय राशि या उससे अधिक राशि के लिए या किसी संपत्ति या संपत्ति में हित के लिए, जिसके लिए वह व्यक्ति योग्य नहीं है, या कपटपूर्वक किसी डिक्री या आदेश को उसके संतुष्ट होने के बाद निष्पादित करने का कारण बनता है या भुगतता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है.
इस धारा में यह साबित करना अनिवार्य है कि आरोपी ने धोखाधड़ी के इरादे से किसी मुकदमे में उसके खिलाफ एक डिक्री या आदेश पारित करवाया है और व्यक्ति जिसके हित में डिक्री या आदेश पारित किया गया है, वह उसका हक़दार नहीं है.
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सजा का प्रावधान
दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 2 साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा दिए जाने का प्रावधान है.
IPC की धारा 210
धारा 210 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के विरुद्ध देय राशि या देय से अधिक राशि के लिए, या किसी संपत्ति या संपत्ति में हित के लिए जिसके लिए वह हकदार नहीं है, कपटपूर्ण तरीके से डिक्री या आदेश प्राप्त करता है, या कपटपूर्वक उसके विरुद्ध डिक्री या आदेश निष्पादित करवाता है, जब वह व्यक्ति संतुष्ट हो गया है या किसी भी चीज़ के लिए जिसके संबंध में वह संतुष्ट हो गया है, तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है.
सजा का प्रावधान
दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 2 साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा दिए जाने का प्रावधान है.
अपराध की श्रेणी
धारा 208 और 210 के अंतर्गत दिए गए अपराध, जमानती और असंज्ञेय [अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है] अपराध है। इन अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता है.
तो इस तरह, भारतीय दंड सहिंता के तहत यदि कोई व्यक्ति कपटपूर्ण तरीके से अपने खिलाफ कोई डिक्री (Decree) पारित होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है तो उसे सज़ा हो सकती है.