Ukraine Returned Medical Students को लेकर केन्द्र सरकार ने दिया Supreme Court में जवाब
नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध की वजह से यूक्रेन से वापस भारत लौटे मेडिकल छात्रों को लेकर केन्द्र सरकार ने Supreme Court में जवाब पेश करते हुए प्रवेश की योजना की जानकारी दी है.
केन्द्र सरकार ने दिए अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह युक्रेन से वापस लौटे मेडीकल छात्रों को किसी भी मौजूदा मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के बिना एमबीबीएस भाग 1 और भाग 2 को पास करने का अंतिम मौका देगा.
केन्द्र सरकार ने अदालत को बताया है कि थ्योरी परीक्षा भारतीय एमबीबीएस परीक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार होगी. वही इन छात्रो की प्रायोगिक परीक्षाए कुछ नामित सरकारी कॉलेज में करवाई जाएगी.
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सरकार ने परीक्षा के बाद 2 साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप का भी प्रावधान करने की जानकारी दी है. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि वह यह युक्रेन से लौटे छात्रो के लिए सख्ती से एक बार यह विकल्प प्रदान कर रहा है.
20 हजार छात्र प्रभावित
गौरतलब है कि इन छात्रों को लाने के लिए भारत सरकार के चार मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देश में तैनात किए थे. कुल 90 फ्लाइट्स की मदद से 22 हज़ार 500 भारतीय छात्रों को यूक्रेन से भारत लाया गया था. रूस-यूक्रेन युद्ध से क़रीब 20 हजार भारतीय मेडिकल छात्र प्रभावित हुए हैं.
यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर आने वाले छात्रों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में 12 रिट पिटीशन और तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट इन सभी 12 रिट पिटीशन को एक साथ मिला कर सुनवाई कर रहा है.
इसमें से एक रिट पिटीशन 'पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट्स' की तरफ़ से लगाई गई है जिसमें छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने की गुहार लगाई गई है.
सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने एक हलफनामें में, केन्द्र सरकार ने कहा था कि इन छात्रों को भारतीय विश्वविद्यालयों में जगह नहीं दी जा सकती क्योंकि नेशनल मेडिकल कमीशन ऐक्ट में ऐसा करने का कोई प्रावधान नहीं है.