तहरीक-ए-हुर्रियत और मुस्लीम लीग जम्मू एंड कश्मीर पर प्रतिबंध बरकरार, UAPA ट्रिब्यूनल ने केन्द्र से जताई सहमति
UAPA Tribunal Bans Tehreek A Hurriyat: शनिवार यानि आज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गठित एक ट्रिब्यूनल ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और तहरीक-ए-हुर्रियत (TeH) की जम्मू और कश्मीर यूनिट पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले से सहमति जताई है.
ट्रिब्यूनल ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सचिन दत्ता की अगुवाई वाली एक सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने तहरीक-ए-हुर्रियत एवं मुस्लिम लीग की जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध लगाया है. इन आर्गेनाइजेशन पर लगे गैर कानूनी गतिविधि के आरोपों की जांच करने के लिए जनवरी में ट्रिब्यूनल गठित की गई थी.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और एडवोकेट रजत नायर ने ट्रिब्यूनल के समक्ष केन्द्र सरकार का पक्ष रखा. ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में केन्द्र की दलीलों से सहमति जताई. ट्रिब्यूनल ने बताया कि ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे और घाटी में आतंकवादी अभियानों को अंजाम देने के लिए लगातार जमीनी समर्थन दे रहे थे.
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क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जम्मू एंड कश्मीर में देश विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण मुस्लिम लीग, जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को सरकार ने 27 दिसंबर, 2023 को UAPA के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित कर दिया था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि तहरीक-ए-हिन्द के नेता और सदस्य पाकिस्तान और उसके छद्म संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों से धन जुटाने में शामिल रहे हैं, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों पर लगातार पथराव करने सहित अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देना है.
गृह मंत्रालय ने आगे कहा था कि Teh और उसके सदस्य अपनी गतिविधियों से लगातार देश के संविधान प्रति घोर अनादर प्रदर्शित करते हैं तथा गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक हैं.