सड़क दुर्घटना के कारण आजीवन दिव्यांगता का शिकार हुए मजदूर को 5.11 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश
पालघर (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के पालघर जिले में मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accidents Claims Tribunal) ने 2015 में सड़क दुर्घटना में घायल होने के कारण आजीवन दिव्यांगता का शिकार हुए 36 वर्षीय मजदूर को 5.11 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है।
एमएसीटी (MACT), वसई के सदस्य आर डी देशपांडे ने चार मई को पारित आदेश में निर्देश दिया कि दो प्रतिवादियों.. मोटरबाइक के मालिक और उसके बीमाकर्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग मुआवजे की राशि की प्राप्ति होनी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक छह प्रतिशत के ब्याज के साथ वादी को मुआवजे का भुगतान करना होगा। आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई।
क्या था मामला?
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वादी ने न्यायाधिकरण को बताया कि 24 फरवरी, 2015 को वह अपने एक दोस्त की मोटरबाइक पर पीछे बैठा था और विरार से मनवेलपाड़ा जा रहा था। बाइक उसके दोस्त के पिता के नाम पर थी। मोटरसाइकिल फिसल गई और घटना में चालक की मृत्यु हो गई जबकि वादी घायल हो गया जिसका एक अस्पताल में इलाज हुआ।
वादी ने कहा कि दुर्घटना से पहले वह एक कचरा प्रबंधन कंपनी में मजदूर के रूप में काम करता था और हर महीने उसे 6,700 रुपये का वेतन मिलता था लेकिन दुर्घटना के बाद वह पूरी क्षमता के साथ अपनी नौकरी कर पाने में अक्षम था। उसने न्यायाधिकरण को बताया कि वह आजीवन दिव्यांगता का शिकार हो गया है और उसके इलाज पर एक लाख रुपये का चिकित्सकीय खर्च आया।
बता दें कि मोटरबाइक मालिक न्यायाधिकरण के समक्ष पेश नहीं हो सका और उसकी गैरमौजूदगी में फैसला सुनाया गया। वहीं बीमा कंपनी ने विभिन्न आधारों पर दावे का विरोध किया और एमएसीटी ने दोनों प्रतिवादियों को वादी को मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया है।