आम आदमी तक न्याय की पहुंच सुगम बनाने के लिए अदालतों में AI उपकरणों के उपयोग की जरूरत: PM Modi
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में न्याय की पहुंच आम आदमी तक सुगम बनाने के लिए देश की अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उपकरणों के उपयोग का आहवान किया है. पीएम मोदी ने कहा कि "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कानूनी क्षेत्र में भी किया जा रहा है. हमें न्याय की आसानी के लिए एआई के माध्यम से अदालतों को आम जनता के लिए भी आसान बनाना होगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह के संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा समय में कानूनी पेशे के लिए प्रथागत कानूनों के ज्ञान के साथ-साथ वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र के साथ एआई का उपयोग आवश्यक है.
गुवाहाटी में आयोजित हुए इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस ऋषिकेश रॉय, केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू, असम मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता मौजूद रहे.
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समारोह के दौरान उन्होने अंबेडकर जयंती के मौके पर बाबा साहेब को श्रंद्धाजलि अर्पित करते कहा कि आज एक सुखद संयोग ये भी है कि आज डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती भी है, हमारे संविधान के निर्माण में बाबा साहेब की मुख्य भूमिका रही है. उन्होने कहा कि कहा कि संविधान में समाए समानता और समरसता के मूल्य ही आधुनिक भारत की नींव है.
गुवाहाटी हाईाकोर्ट के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट की 75 वर्ष की ये यात्रा एक ऐसे समय में पूरी हुई है, जब देश ने भी अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं.
पीएम ने कहा ये हमारे लिए अब तक के अनुभवों को सहेजने का भी समय है, और नए लक्ष्यों के लिए जवाबदारी और जरूरी बदलावों का भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. खास तौर पर, गुवाहाटी हाईकोर्ट की अपनी एक अलग विरासत रही है, अपनी एक पहचान रही है. एक ऐसी हाईकोर्ट है, जिसके jurisdiction का दायरा सबसे बड़ा है.
पीएम मोदी ने इस मौके पर पूर्वोतर राज्यों की जनता को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुवाहाटी हाइकोर्ट की 75 वर्ष की इस यात्रा में पूरे पूर्वोत्तर का अतीत जुड़ा हुआ है, लोकतान्त्रिक विरासत जुड़ी हुई है.
देश की न्यायपालिका को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में हर भारतवासी के सपने और उसकी आकांक्षाएँ असीम हैं, इनकी पूर्ति में, लोकतन्त्र के एक स्तम्भ के तौर पर हमारी सशक्त और संवेदनशील judiciary की भूमिका भी उतनी ही अहम है.
पीएम ने कहा किदेश के संविधान की भी हम सभी से ये निरंतर अपेक्षा है कि हम समाज के लिए एक vibrant, strong और आधुनिक legal system बनाएं.
पीएम ने कहा कि Aspirational India के सपनों को पूरा करने के लिए ये ज़िम्मेदारी Legislature, Executive और Judiciary, तीनों ही अंगों की है. उन्होने कहा कि हम कैसे मिलकर काम कर रहे हैं, इसका एक उदाहरण पुराने और अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करना भी है.
पुराने कानूनो को लेकर पीएम ने कहा कि हमारे यहां के कई कानूनी प्रावधान ब्रिटिश काल से चले आ रहे हैं। कई ऐसे कानून हैं जो अब पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके हैं। सरकार के स्तर पर हम इनकी निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। हमने ऐसे दो हजार केंद्रीय कानूनों की पहचान कर उनको खत्म कर दिया और जो अप्रचलित और निरर्थक हो गए थे.
पीएम ने कहा कि हमने 40 हजार से ज्यादा Compliances को भी समाप्त किया है. व्यापार के दौरान होने वाली अनेक छोटी गलतियों को भी हमने Decriminalize कर दिया है। इस सोच और अप्रोच ने, देश की अदालतों में, केसेस की संख्या को भी कम करने में अहम भूमिका निभाई है.
पीएम ने कहा कि देश के justice delivery system को अत्याधुनिक बनाने में टेक्नोलॉजी के लिए असीमित स्कोप है, ये हम अनुभव करते हैं. सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी इस दिशा में बहुत सराहनीय काम भी कर रही है. इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इस साल के बजट में e-courts Mission phase – 3 का एलान किया गया है.
पीएम मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर जैसे पहाड़ी और remote area के लिए तो justice delivery system में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल और भी अहम हो जाता है. आज efficiency बढ़ाने और justice को accessible बनाने के लिए दुनियाभर के legal systems में AI को भी, Artificial Intelligence को भी शामिल किया जा रहा है. हमें भी AI के जरिए कोर्ट की कार्यवाही को सामान्य मानवी के लिए सरल बनाने के ease of justice’ के प्रयास बढ़ाने चाहिए.
पीएम मोदी ने एडीआर सिस्टम, देश की अदालतों की स्थानीय भाषा से लेकर जेल में बद कैदियो पर भी अपनी बात कही.