केन्द्र की आपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने किया सिरे से खारिज, कहा -प्रस्तावों को बार बार लौटाना सही नहीं
नई दिल्ली: देश की उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के मामले पर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र आमने सामने है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17—18 जनवरी को हुई कॉलेजियम की दो बैठकों के जरिए देश के अलग अलग हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है.
कॉलेजियम द्वारा की गई इन सिफारिशों में वे 5 नाम भी शामिल है जिनके नाम को केन्द्र लौटा चुका है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन 5 नामों की सिफारिश केन्द्र सरकार को दोबारा भेजते हुए उनके नाम लौटाए जाने की आलोचना भी की.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में हुए कॉलेजियम सरकार के इस रुख पर कहा है कि एक बार सरकार की आपत्तियों पर विधिवत विचार करने के बाद फिर से भेजे गए प्रस्तावों को लौटाना सही रुख नहीं है.
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4 हाईकोर्ट के लिए 5 नाम दोहराये
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के 17—18 जनवरी के अलग अलग 4 स्टेटमेंट के अनुसार 5 अधिवक्ताओं के नाम की सिफारिश को दोहराते हुए फिर से केन्द्र सरकार को भेजा है.
कॉलेजियम द्वारा 18 जनवरी की बैठक में कोलकाता हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट अमितेष बनर्जी और साक्या सेन के नाम की सिफारिश को दोहराया है. केन्द्र सरकार इन दोनों अधिवक्ताओं का नाम दो बार कॉलेजियम को वापस भेज चुकी है.
केन्द्र की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कॉलेजियम ने अब तीसरी बार इनकी नियुक्ति को शीघ्र मंजूरी देने के लिए कहा है.
18 जनवरी की बैठक के जरिए ही कॉलेजियम ने एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन को बॉम्बे हाईकोर्ट और समलैंगिक सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट के लिए न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश को दोहराया है.
कॉलेजियम की 17 जनवरी की बैठक के स्टेटमेंट के अनुसार मद्रास हाईकोर्ट के एडवोकेट आर जॉन सत्यन के नाम की सिफारिश को भी कॉलेजियम ने फिर से दोहराया है.
सौरभ कृपाल —समलैगिंकता और पार्टनर
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक बार फिर से समलैंगिक एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की अपनी सिफारिश को दोहराया है.देश के न्यायिक इतिहास में सौरभ कृपाल का नाम सबसे ज्यादा समय तक पेंडिंग रखे गए नाम में शामिल हो गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्वप्रथम सौरभ कृपाल का नाम 13 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट को भेजा था. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाई कोर्ट द्वारा भेजे गए कृपाल के नाम को करीब 4 साल तक पेंडिंग रखा.
पूर्व सीजेआई एन वी रमन्ना ने आखिरकार पहल करते हुए पहली बार 11 नवंबर, 2021 को कॉलेजियम की बैठक करते हुए कृपाल की नियुक्ति के लिए सिफारिश केंद्र को भेजी.
केन्द्र सरकार ने सौरभ कृपाल के नाम को यह कहते वापस लौटा दिया कि वे एक समलैंगिक है और उनके पार्टनर के एक स्विस नागरिक होने से सुरक्षा खामियों उत्पन्न होगी.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र की इस आपत्ति को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि किसी अधिवक्ता का नाम सिर्फ यौन झुकाव के आधार पर लौटाना उचित नहीं है. कॉलेजियम ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यौन झुकाव के आधार पर गरिमा व व्यक्तित्व बनाए रखने का अधिकार है. साथ ही कॉलेजियम ने उनके पार्टनर को लेकर भी केन्द्र की आपत्तियों को खारिज कर किया है.
कॉलेजियम ने कहा है कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि सौरभ के पार्टनर हमारे देश के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेंगे, खासकर तब जबकि उनका मूल देश हमारा मित्र राष्ट्र है.
एडवोकेट अमितेष बनर्जी और साक्या सेन
कोलकाता हाईकोर्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जुलाई, 2019 में पहली बार एडवोकेट अमितेष बनर्जी और साक्या सेन के नाम की सिफारिश की थी. इन नामों को दो साल तक पेंडिंग रखने के बाद केंद्र सरकार ने अगस्त 2021 में कॉलेजियम को लौटा दिए. कॉलेजियम ने एक बार फिर से सितंबर, 2021 में अमितेष बनर्जी और अक्टूबर, 2021 में साक्या सेन की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिश को दोहराते हुए नाम केन्द्र को भेज दिए.
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 25 नवंबर, 2022 को एक बार फिर से एडवोकेट अमितेष बनर्जी और साक्या सेन के नाम लौटा दिए. केन्द्र ने इन दोनों अधिवक्ताओं के खिलाफ खुफिया ब्यूरो के इनपुट के साथ वापस भेजा था.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अब तीसरी बार एडवोकेट अमितेष बनर्जी और साक्या सेन का नाम दोहराते हुए केन्द्र सरकार को भेजा है. कॉलेजियम के अनुसार केन्द्र द्वारा लौटाई गई फाइल में खुफिया ब्यूरो के जो इनपुट दिए गए हैं, उनमें कोई नई सामग्री या आधार नहीं है.
सोमशेखर सुंदरेसन
केन्द्र सरकार के लिए ये किसी झटके से कम नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक बार फिर से बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता सोमशेखर सुंरेरसन के नाम की सिफारिश को दोहराया है.
18 जनवरी की बैठक के स्टेटमेंट के अनुसार सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में हुए कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया है.
एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन का नाम पहली बार बॉम्बे हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट को भेजा था. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने फरवरी 2022 में केन्द्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की थी.
केन्द्र सरकार द्वारा 25 नवंबर, 2022 को लौटाई गई फाइल में सोमशेखर सुंदरेसन की फाइल भी शामिल थी. केन्द्र ने सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट और टिप्पणियों पर विचारों की अभिव्यक्ति को आधार बनाकर उनका नाम लौटाया था.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमशेखर के मामले में भी केंद्र सरकार की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है. कॉलेजियम ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर व्यक्ति किए गए विचार, यह अनुमान लगाने के लिए कोई आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं कि वह पक्षपाती है.
कॉलेजियम ने सरकार को याद दिलाते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, कहा कि "जिस तरह से उम्मीदवार ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, वह इस अनुमान को सही नहीं ठहराता है कि वह "अत्यधिक पक्षपाती विचारों वाला व्यक्ति" है या वह "सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों और निर्देशों पर सोशल मीडिया पर आलोचनात्मक" रहा है.
कॉलेजियम ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि न ही यह स्पष्ट करने के लिए उनके खिलाफ कोई सामग्री है कि उनका किसी राजनीतिक दल के साथ मजबूत वैचारिक झुकाव के साथ उनके संबंध हैं.
स्टेटमेंट में कॉलेजियम ने बेहद सख्त शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा है कि "एक उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे तब तक एक संवैधानिक पद धारण करने से वंचित नहीं करती है जब तक कि न्याय के लिए प्रस्तावित व्यक्ति योग्यता, योग्यता और सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति है.
एडवोकेट आर जॉन सत्यन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाले आर्टिकल को साझा करने और NEET परीक्षा में फेल होने पर मेडिकल छात्रा अनीता द्वारा आत्महत्या करने के बारे में एक पोस्ट करने की आपत्ति को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट आर जॉन सत्यन के नाम की सिफारिश को फिर से दोहराया है.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एडवोकेट आर जॉन सत्यन की नाम की सिफारिश पहली बार 16 फरवरी 2022 को केन्द्र सरकार को भेजी थी.15 नवंबर 2022 को केन्द्र सरकार ने वापस भेजे जाने वाले नाम में एडवोकेट आर जॉन सत्यन के नाम को भी लौटा दिया था.
ईसाई समुदाय से आने वाले एडवोकेट आर जॉन सत्यन के नाम की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने ये कहते हुए लौटा दिया था कि उनके खिलाफ आईबी के इनपुट है.
कॉलेजियम ने केंद्र की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के अनुसार उनकी एक अच्छी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि है और उनकी सत्यनिष्ठा के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल नहीं आया है.
सत्यन ईसाई समुदाय से हैं. आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है और इस पृष्ठभूमि में उनके द्वारा किए गए पोस्ट के संबंध में उनकी उपयुक्तता, चरित्र या सत्यनिष्ठा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
17 जनवरी के स्टेटमेंट के अनुसार कॉलेजियम ने केंद्र से कहा है कि वो मद्रास हाईकोर्ट के लिए उनके द्वारा भेजी गयी सिफारिशों में नियुक्ति के समय एडवोकेट आर जॉन सत्यन को वरीयता दी जाए.