दो दिन के लिए रह चुके है हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जानिए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल को
नई दिल्ली, जस्टिस संजय किशन कौल वर्तमान में देश की सर्वोच्च अदालत में सीजेआई के बाद सीनियर मोस्ट जज है. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के देश के 50 वें मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस संजय किशन कौल लगातार चर्चा में है. जजों की नियुक्ति में हो रही देरी के मामले में की गयी उनकी टिप्पणियां हो या फिर उनके फैसले, जस्टिस संजय किशन कौल हमेशा ही सख्त मिजाज जज रहे है.आईए जानते है जस्टिस संजय किशन कौल के बारे में.
दिल्ली मॉडर्न स्कूल से शुरुआत
मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली में स्कूली शिक्षा के बाद जस्टिस संजय किशन कौल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद उन्होने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढाई की. सेंट स्टीफेंस कॉलेज के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से उन्होंने 1982 में एलएलबी की डिग्री हासिल की.
कानून की डिग्री हासिल करने के बाद जस्टिस कौल ने दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड हुए और दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी वकालत शुरू की.वर्ष 1991 तक जस्टिस कौल सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) भी रहें. अपने 19 साल के वकालत के करियर के दौरान वाणिज्यिक, दीवानी और रिट मामलों में प्रैक्टिस की.
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2 दिन के मुख्य न्यायाधीश
वकील के रूप में वे दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली हाईकोर्ट, केन्द्र सरकार, डीडीए सहित कई संस्थाओं के स्थायी वकील के रूप में कार्य किया. वकालत में रूप में उनकी सेवाओं को देखते हुए 3 मई 2001 में उन्हे दिल्ली हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया. दो वर्ष बाद 2003 में उन्हे दिल्ली हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाया गया.
जस्टिस संजय किशन कौल 2 दिन के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके है, 23 से 25 सितंबर 2012 में उन्हे 2 दिन के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट में 10 वर्ष तक जज रहने के बाद उन्हे 1 जून 2013 में पदोन्नत करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. एक वर्ष बाद ही उन्हे 25 जुलाई 2014 को एक और पदोन्नति के रूप में प्रेसिडेसियल मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति दी गयी.
देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आर एस खेहर की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने जनवरी 2017 में उन्हे सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने की सिफारिश की. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी दी. जिसके बाद 16 फरवरी 2017 को वे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए.
महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले
एमएफ हुसैन केस
जस्टिस संजय किशन को उनके द्वारा दिए गए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसलों के लिए भी जाना जाता है. दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहते हुए उन्होने बहुचर्चित एमएफ हुसैन से जुड़े केस में फैसला सुनाया था.
इस केस में एमएफ हुसैन द्वारा बनाई गई भारत माता के चित्र को लेकर महिलाओं के अपमान का केस दर्ज किया गया था. इस मामले में जस्टिस कौल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बहुलवाद लोकतंत्र की आत्मा जैसी टिप्पणियों के साथ एमएफ हुसैन के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था.
निजता का मौलिक अधिकार
जस्टिस संजय किशन कौल सुप्रीम कोर्ट की उस 9 सदस्य पीठ का भी हिस्सा थे जिसने भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2017 को फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था. फैसले में कहा गया कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पूरे भाग तीन का स्वाभाविक अंग है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के.एस. पुट्टास्वामी ने सरकार की आधार कार्ड योजना को चुनौती देने वाली एक याचिका दायर की थी, जस्टिस संजय कौल ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि ''निजता एक अंतर्निहित अधिकार है. यह इस प्रकार दिया नहीं गया है, लेकिन पहले से मौजूद है"
अमित साहनी बनाम दिल्ली पुलिस आयुक्त
7 अक्टूबर 2020 को अमित साहनी बनाम दिल्ली पुलिस कमिश्नर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन करना आम जनता का अधिकार है लेकिन प्रदर्शन के लिए सड़कों की पूरी तरह से नाकेबंदी करना सही नहीं है और पुलिस को नाकाबंदी हटानी चाहिए और निर्धारित क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करना चाहिए.
वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी (Advocate Amit Sahni) ने एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.याचिका में प्रदर्शन के चलते लाखो लोगो को हो रही परेशानी को लेकर सड़कों को खोलने की गुहार कि गयी थी.
कनीज फातिमा समेत कई लोगों ने इस फैसले पर दोबारा विचार की मांग की थी लेकिन बाद में पुनर्विचार याचिका को भी जस्टिस जस्टिस संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की बेंच ने खारिज कर दिया.
एनडीए, आर्मी और सैनिक स्कूलों में महिलाओं की एंट्री
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही देश में एनडीए, आर्मी और सैनिक स्कूलों में महिलाओं की एंट्री हो पायी है. जस्टिस संजय कौल सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ के सदस्य थे जिसने इस मामले में फैसला सुनाया था. पीठ ने एक अंतरिम आदेश दिया जिसमें महिला को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई, जिसकी पहले अनुमति नहीं थी. यह देश में लैंगिक समानता के महत्व के साथ एक ऐतिहासिक आदेश है.
निर्णय में देरी पर फैसला
बालाजी बलिराम मुपड़े बनाम महाराष्ट्र राज्य के फैसले में जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि निर्णय देने में देरी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
क्रीमी लेयर का सिद्धांत SC/ST पर लागू
जरनैल सिंह बनाम लछमी नारायण गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत SC/ST पर लागू होगा और अदालत ने वर्तमान मामले में इसे बरकरार रखा है। मतलब जो लोग अनुसूचित जाति और जनजाति जाति से संबंधित क्रीमी लेयर में हैं, उन्हें आरक्षण के लाभ से बाहर रखा जाएगा. जस्टिस कौल फैसला सुनाने वाली 5 सदस्य संविधान पीठ का हिस्सा थे.