संविधान की मूल संरचना जजों के लिए ध्रुव तारे के समान मार्गदर्शन करती है - CJI
नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने एक बार फिर से देश के संविधान को लेकर अहम बात कही है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे संविधान की मूल संरचना उस ध्रुव तारे के समान है जो उन लोगों का मार्गदर्शन करती है जो संविधान की व्याख्या करते है और जजों की सहायता के लिए आते है. जैसा की ध्रुव तारा करता है जब आगे का रास्ता कठिन होता है.
ध्रुव तारे के समान
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ शनिवार को मुंबई में बॉम्बे बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित 18वें नानी पालकीवाला लेक्चर को संबोधित कर रहे थे.
सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा कि बदलते समय के साथ जजों के अंतर्मन की कला संविधान की आत्मा को बचाए रखते हुए उसकी व्याख्या कर रहे हैं.
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सीजेआई ने कहा कि हमारे संविधान की मूल संरचना एक ध्रुव तारे के समान मार्गदर्शन करती है और संविधान के व्याख्याताओं और कार्यान्वयन कर्ताओं को एक निश्चित दिशा दिखाती है जब आगे का मार्ग जटिल होता है.
सीजेआई ने कहा कि हमारे संविधान की मूल संरचना या दर्शन संविधान की सर्वोच्चता, कानून के शासन, शक्तियों के पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, व्यक्ति की स्वतंत्रता, गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता पर आधारित है.
क्या कहा था उपराष्ट्रपति ने
सीजेआई के इस संबोधन को देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा संविधान की मूल संरचना को लेकर दिए गए बयान का जवाब माना जा रहा है. 11 जनवरी को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संविधान की बुनियादी संरचना के सिद्धांत को लेकर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का 1973 का केशवानंद भारती का फैसला जिसने संविधान में संशोधन करने के लिए संसद की शक्ति को प्रतिबंधित कर दिया था, गलत है और एक गलत परंपरा की शुरुआत था.
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में शामिल करते हुए कहा था कि इस फैसले ने इस विचार को बल दिया कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन इसकी मूल संरचना में नहीं.
इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने कहा था कि क्या संसद अनुमति दे सकती है कि उसका फैसला किसी अन्य प्राधिकरण के अधीन होगा?
नानी के बगैर नहीं होता सिद्धांत
नानी पालकीवाला लेक्चर के दौरान अपने संबोधन में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पालकीवाला के बगैर भारत के पास मूल संरचना का सिद्धांत नहीं होता.
सीजेआई ने कहा कि नानी पालकीवाला ने समकालीन भारत के इतिहास को आकार दिया है. सीजेआई ने कहा कि पालकीवाला ने संविधान में हमें दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. अगर नानी पालकीवाला नहीं होते तो हमारे पास मूल संरचना का सिद्धांत नहीं होता.
सीजेआई ने कहा कि केशवानंद भारती मामले में अब तक की सबसे बड़ी संविधान पीठ ने सुनवाई की थी, जिसमें पालकीवाला ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को लागू करवाया.