Advertisement

Tamil Nadu Highways Act को SC से हरी झण्डी, High Court के बाद Supreme Couort ने भी अधिनियम की वैधता को रखा बरकरार

Supreme Court मद्रास हाईकोर्ट के वर्ष 2019 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अधिनियम की वैधता को यह कहते हुए बरकरार रखा था कि यह किसी भी अंतर्निहित मनमानी से ग्रस्त नहीं है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 10, 2023 11:01 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने Tamil Nadu Highways Act की वैधता को लेकर मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि एक राज्य का कानून केंद्रीय कानून के विपरीत हो सकता है लेकिन भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त होने के बाद अनुच्छेद 254 (2) के तहत संरक्षित रहेगा.

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और पीवी संजय कुमार की पीठ ने इसके साथ ही Tamil Nadu Highways Act की वैधता को बरकरार रखा है.

Advertisement

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस अधिनियम को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है कि इसके प्रावधान केंद्रीय कानून के प्रावधानों के साथ भेदभाव करते हैं या मनमाने है.

Also Read

More News

पीठ ने अपने फैसले में कहा "संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का आधार यह है कि राजमार्ग अधिनियम का उद्देश्य यह है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को टाला जा सकने योग्य विलंबों के कारण लंबा या बाधित नहीं किया जाना चाहिए.

Advertisement

पीठ ने कहा "इसमें कोई संदेह नहीं है कि नए अधिनियम की योजना भूमि अधिग्रहण के कार्यान्वयन में अपनाए जाने वाले समय पर उपायों की बात करता है और इस तरह के सामान्य अस्थायी प्रतिबंधों से भूस्वामियों को लाभ होगा, लेकिन राजमार्ग अधिनियम में इस तरह के प्रतिबंधों की अनुपस्थिति इसे अमान्य करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के वर्ष 2019 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अधिनियम की वैधता को यह कहते हुए बरकरार रखा था कि यह किसी भी अंतर्निहित मनमानी से ग्रस्त नहीं है.

हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा था कि अधिनियम 2013 LA Act के अधिनियमन के बाद प्रभावी रूप से शून्य था.

अपील के लंबित रहने के दौरान, तमिलनाडु सरकार ने एक मान्यकरण अधिनियम पारित किया था, जिसे बाद में राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसने राजमार्ग अधिनियम को 2013 LA Act के दायरे से बाहर कर दिया था.

अपीलकर्ताओं ने Tamil Nadu Highways Act में किसी भी समय सीमा की कमी के आधार पर चुनौती दी गयी थी.

अपीलकर्ताओं का कहना था कि जिस उद्देश्य के लिए भूमि अवाप्त की जाती है उसका प्रयोग उस उद्देश्य के लिए उस निर्धारित अवधि में नही किया जाता है तो उसे खारिज माना जाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इसे स्वीकार करते हुए कहा था कि Tamil Nadu Highways Act के तहत भूमि के अधिग्रहण में देरी के किसी भी मामले को उसके गुणों के आधार पर निपटाया जाना चाहिए और यह कानून को अमान्य करने के लिए अपने आप में पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है.