निर्वाचित प्रतिनिधि की अयोग्यता को लेकर SC ने पूछा 'क्या किसी भी तरह की सजा उसे जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य बनाती है?'
नई दिल्ली: सपा नेता और पूर्व सांसद आजम खान (Azam Khan) के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam Khan) को उत्तरप्रदेश विधानसभा के विधायक की सदस्यता से अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है.
मोहम्मद अब्दुल्ला आजम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि "किसी को दो साल के लिए दोषी ठहराया गया है और वह अयोग्य है. लेकिन क्या हम उस व्यक्ति की नैतिकता का परीक्षण नहीं कर सकते हैं जिसे दोषी ठहराया गया है कि क्या किसी भी तरह की सजा उसे जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य बनाती है?"
गौरतलब है कि अदालत द्वारा 15 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने और 2 साल कैद की सजा के बाद अब्दुल्ला आजम की उत्तरप्रदेश विधानसभा से विधायकी रद्द कर दी गई थी. अब्दुल्ला आजम ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की है.
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घटना के समय नाबालिग
आजम की ओर से अदालत में कहा गया कि जिस वक्त का यह मामला है उस वक्त अब्दुल्ला की उम्र 15 साल की थी. अपने तर्क के समर्थन में अब्दुला आजम की ओर से स्कूल दस्तावेज भी पेश किए गए.
अदालत में कहा गया कि घटना के समय वह नाबालिग था और कहा कि मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए थी, ना कि रेगुलर कोर्ट से.
याचिका में आजम ने कहा है कि घटना के समय उसकी आयु 15 साल थी और वह अपने पिता के साथ था. ऐसे में अगर उसके पिता सड़क पर उतरते है और वह भी उनके साथ बैठ जाता है तो इस कार्य के लिए उसे सजा नहीं दी जा सकती, क्योकि घटना के समय वह नाबालिग थे.
आजम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि है कि रामपुर की स्वार (Rampur Swar Seat) विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम इस याचिका के परिणाम के अधीन होंगे.
रामपुर की स्वार (Rampur Swar Seat) विधानसभा क्षेत्र की सीट पर 10 मई को चुनाव होने वाले हैं.
हाईकोर्ट ने की थी खारिज
अब्दुला आजम की ओर से दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 अप्रैल को खारिज कर दिया था. दोषसिद्धि के कारण विधायक के रूप में उन्हें आयोग्य घोषित कर दिया गया है.
हाईकोर्ट में अपने फैसले में कहा था, "राजनीति में शुचिता रखना समय की मांग है और जनप्रतिनिधियों का साफसुथरा अतीत होना चाहिए।"
क्या है मामला
31 दिसंबर 2007 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप पर हमला हुआ था,जिसके बाद उस क्षेत्र में निगरानी कड़ी कर दी गयी थी. 29 जनवरी 2008 को मुरादाबाद के छजलैट थाने में पुलिस चेकिंग कर रही थी. इस दौरान पुलिस ने आजम खान के काफिले को जांच को लेकर रोक लिया.
पुलिस जांच से नाराज सपा नेता आजम खान ने सड़क पर ही धरना देना शुरू कर दिया था, धरने में आजम खाने के साथ कई दूसरे सपा नेता भी शामिल हुए. पुलिस ने इस मामले में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम समेत कई दूसरे नेताओं को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज किया था.
ट्रायल कोर्ट ने ट्रायल के बाद अब्दुल्ला को इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई है, जिसके बाद वो विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं.