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जलीकट्टू, कंबाला पर Supreme Court का फैसला आज, Verdict सुनाने वाली पीठ के दो जज अगले माह हो रहे है सेवानिवृत, कल है अंतिम कार्यदिवस

5 सदस्य इस संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस के एम जोसेफ और दूसरे वरिष्ठ सदस्य जस्टिस अजय रस्तोगी दोनो ही अगले माह सेवानिवृत होने वाले है.सेवानिवृति से पूर्व दोनो जजो का शुक्रवार अंतिम कार्यदिवस है, इसी के चलते 5 माह से सुरक्षित रखा गया फैसला आज सुनाया जायेगा.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 18, 2023 9:13 AM IST

नई दिल्ली: तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र ​सहित दक्षिण के राज्यों में प्रचलित सांड बैलों की दौड़ यानी जलीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज फैसला सुनायेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 5 माह पूर्व 8 दिसंबर 2022 को जलीकट्टू (Bull-Taming Sport Jallikattu), कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सभी पक्षो की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.

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एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य की याचिकाओं में भारत सरकार द्वारा 07 जनवरी 2016 को जारी अधिसूचना को रद्द और निरस्त करने का अनुरोध किया गया है.

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सेवानिवृति से पूर्व फैसला

जस्टिस केएम जोसफ की अध्यक्षता वाली इस संविधान पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल है.

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5 सदस्य इस संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस के एम जोसेफ और दूसरे वरिष्ठ सदस्य जस्टिस अजय रस्तोगी दोनो ही अगले माह सेवानिवृत होने वाले है.

जस्टिस के एम जोसेफ सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान 16 जून और जस्टिस अजय रस्तोगी 17 जून को सेवानिवृत होंगे.

ग्रीष्मकालीन अवकाश से पूर्व देश की सर्वोच्च अदालत में शुक्रवार अंतिम कार्यदिवस है, और इन दोनो जजों के लिए भी सेवानिवृति से पूर्व शुक्रवार अंतिम कार्यदिवस है, इसी के चलते 5 माह से सुरक्षित रखा गया फैसला आज सुनाया जायेगा.

ऐसे पहुंचा मामला संविधान पीठ में

दक्षिण के राज्यों में जल्लीकट्टू' को एरुथाझुवुथल' के रूप में भी जाना जाता है. सांडों को वश में करने वाला यह खेल तमिलनाडु में पोंगल उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है.

एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य ने 7 SCC 547 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए संबंधित राज्यों को निर्देश देने के लिए याचिका दायर कि थी.

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के दौरान ही तमिलनाडु राज्य में पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित किया गया.

तमिलनाडु ने इस अधिनियम में संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत अपने सांस्कृतिक अधिकार के रूप में जलीकट्टू का संरक्षण ​करते हुए इसे अपनी सहमति दी.

5 कानूनी सवाल

याचिकाकर्ताओं ने पशु क्रूरता रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ सौपते हुए प्रश्न किया कि क्या तमिलनाडु संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत अपने सांस्कृतिक अधिकार के रूप में जलीकट्टू का संरक्षण कर सकता है, जो नागरिकों के सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है.

तत्का​लिन सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने याचिका में संविधान की व्याख्या के साथ पांच सवालों को संविधान पीठ को तय करने के लिए भेजा दिया.