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गुजरात न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति मामले पर Supreme Court जुलाई करेगा सुनवाई,

Supreme Court से 15 मई को सेवानिवृत हो चुके Justice M R Shah ने सेवानिवृति से पूर्व 12 मई को दिए फैसले में इन न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को गलत बताते हुए रोक लगा दी थी.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 16, 2023 2:20 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा सहित गुजरात जिला न्यायपालिका के 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर लगाई गई रोक के मामले पर फिर से सुनवाई के लिए सहमत हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट से 15 मई को सेवानिवृत हो चुके जस्टिस एम आर शाह ने सेवानिवृति से पूर्व 12 मई को दिए फैसले में इन न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को गलत बताते हुए रोक लगा दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही 40 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को रद्द करते हुए उनके पदावनति के बाद पुन: उनके मूल पद पर वापस भेजने के आदेश दिए थे.

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सीजेआई के समक्ष मेंशन

मंगलवार को न्यायिक अधिकारियों की ओर से सीजेआई डी वाई चंद्रचूड , ​जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा ने मामले को मेंशन किया गया.

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अधिवक्ता ने मेंशन करते हुए अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 12 मई के आदेश के अनुसार गुजरात हाईकोर्ट के 40 न्यायिक अधिकारियों को उनके मूल कैडर पर वापस भेज दिया है.

जुलाई मेंं करेंगे सुनवाई

मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई ने कहा कि ये मामले प्रतिवर्ती हैं और प्रभावित न्यायिक अधिकारियों को आश्वासन दिया कि वे अपने सेवानिवृत्त बकाया राशि प्राप्त करेंगे.

अधिवक्ता ने प्रभावित जजों को लेकर अदालत से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सभी न्यायिक अधिकारी अपमानित महसूस कर रहे है.

जवाब में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि वे छुट्टियों के बाद मामले को फिर से सुनवाई के लिए reassign करेंगे.

सीजेआई ने कहा हम इसे ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जुलाई के लिए सूचीबद्ध करते हैं.’’

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिन न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर रोक लगाई गयी, उनमें सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा भी शामिल है, जिन्होने मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था.

जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा जारी की गई सूची और जिला न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश गैरकानूनी और इस अदालत के निर्णय के विपरीत है.

पीठ ने पदोन्नति पाने वाले संबंधित अधिकारियों को उनके मूल पदों पर भेजने का आदेश दिया था. जिन पदों पर वे अपनी पदोन्नति से पहले नियुक्त थे.

गुजरात के वरिष्ठ सिविल जज कैडर के अधिकारी रविकुमार महेता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए गए थे.