Supreme Court 9 मई से करेगा Marital Rape मामले पर सुनवाई, केन्द्र ने कहा जवाब तैयार
नई दिल्ली:मेरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आगामी 9 मई को सुनवाई करेगा. बुधवार को सीजेआई की पीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह और एडवोकेट करुणा नंदी ने इस मामले को शीघ्र सुनवाई के लिए मेंशन किया था.
याचिका को मेंशन किए जाने पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपना जवाब दिया. एसजी ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का भी जवाब तैयार है.
गौरतलब है कि 16 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए मेरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने या नही लाने पर सुनवाई के लिए सहमति दी.
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार को 15 फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए 3 मार्च तक सभी पक्षों को लिखित में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए थे.
डेढ़ दिन का समय
बुधवार को याचिका के मेंशन करते हुए सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह ने अदालत से अनुरोध किया इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की जाए.
सीजेआई ने इस मामले में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से केन्द्र की ओर से बहस के लिए पूछा कि इस मामले पर बहस के लिए उन्हें कितना समय चाहिए. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले की गंभीरता और अहमियत को देखते हुए उन्हें इस पर बहस के लिए उन्हे करीब डेढ़ दिन का समय चाहिए होगा.
हाईकोर्ट का बंटा हुआ फैसला
इस मामले की शुरूआत दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले से हुई जिसमें दो जजों की पीठ ने 11 मई 2022 को बंटा हुआ फैसला सुनाया था. अलग अलग राय के चलते पीठ के दोनों जजों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए रेफर किया था.
पीठ के एक जज जस्टिस राजीव शकधर ने मैरिटल रेप अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था, वहीं जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा था कि IPC के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है.
दरअसल, याचिकाकर्ता ने IPC की धारा 375( रेप) के तहत मैरिटल रेप को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी. इस धारा के अनुसार विवाहित महिला से उसके पति द्वारा की गई यौन क्रिया को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा जब तक कि पत्नी नाबालिग न हो.