Isha Foundation से जुड़ी याचिका को HC से सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास किया ट्रांसफर, कहा- हमने दोनों महिला सन्यासियों से बात की है
सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मद्रास हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगाया है जिसके अनुसार 500 पुलिस कर्मी ईशा फाउंडेशन के अंदर चप्पे-चप्पे की जांच कर रहे थे. वहीं मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को पुलिस को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी क्रिमिनल केस की जानकारी देने का निर्देश दिया था, जिसे चुनौती देते हुए ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
HC से Habeas Corpus को अपने पास किया ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की. पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हुए. ईशा फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया और कहा कि लगभग 500 पुलिस अधिकारियों ने फाउंडेशन के आश्रम पर छापेमारी की है और हर कोने की जांच कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने उन दो महिलाओं से बातचीत करते हुए अपने साथ मामले की जानकारी देने को कहा जिनके पिता ने ईशा फाउंडेशन में अपनी बेटियों को अवैध रूप से बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाएंगे. बहरहाल चीफ जस्टिस ने कहा कि वो चैंबर में ऑनलाइन मौजूद दोनो महिलाओं से बात करेंगे और उसके बाद आकर आदेश पढे़ंगे. सीजेआई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिकायतकर्ता की दोनों बेटियों से बातचीत करने के लिए कक्ष में गए.
सीजेआई ने कहा,
"हमने महिला सन्यासी से बात की है. उन्होंने बताया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही है."
CJI ने कहा कि इस मामले में पॉक्सो केस दर्ज कराई गई है, हम किसी न्यायिक अधिकारी को आश्रम की जांच करने के लिए भेजेंगे. वहीं आगे के लिए पुलिस मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वस्तु-स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में आगे कोई कार्रवाई न करे. उक्त निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय में दो महिलाओं के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया है.
HC के आदेश खिलाफ SC पहुंची Isha Foundation
ईशा फाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. ईशा फाउंडेशन ने बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कोयंबटूर पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह जग्गी वासुदेव के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का विवरण एकत्र कर और उन्हें अदालत के समक्ष पेश करे.
पिता ने दायर की Habeas Corpus
मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करे, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए. याचिकाकर्ता तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं. उनकी दो बेटियां हैं और दोनों ने इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री ली है, दोनों ही ईशा फाउंडेशन से जुड़ी थीं. याचिकाकर्ता की शिकायत यह थी कि फाउंडेशन कुछ लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें भिक्षु’ बना रहा है और उनके माता-पिता तथा रिश्तेदारों को उनसे मिलने भी नहीं दे रहा है.