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Manipur Violence: महिलाओं के Viral वीडियो मामले सहित कई याचिकाओं पर SC आज करेगा सुनवाई

Manipur Ethnic Violence

मणिपुर में 19 जुलाई को एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था, जिसमे दो कुकी महिलाओं को एक भीड़ द्वारा सड़क पर नग्न घुमाया गया, इतना ही नहीं उनके साथ रेप भी हुआ था.

Written By My Lord Team | Updated : July 31, 2023 1:01 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट मणिपुर जातीय हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं, जिसमे महिलाओं के वायरल वीडियो मामला, पर सुनवाई करेगा, तथ इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर भी विचार करेगा.

मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा की जाएगी।

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जैसे ही मामला सुनवाई के लिए बुलाया गया, दोनों महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने मामले में याचिका दायर की है।

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20 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह संघर्षग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न घुमाने के वीडियो से "परेशान" है, और कहा कि हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को साधन के रूप में इस्तेमाल करना "संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य" है।

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दरअसल, मणिपुर में 19 जुलाई को एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था, जिसमे दो कुकी महिलाओं को एक भीड़ द्वारा सड़क पर नग्न घुमाया गया, इतना ही नहीं उनके साथ रेप भी हुआ था. खबरों के अनुसार, यह वीडियो मणिपुर में 3 मई को फैली हिंसा के अगले दिन, ४ मई, का बताया जा रहा है.

फिलहाल, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने 18 मई को कांगपोकपी जिले में सैकुल पुलिस जीरो FIR दर्ज की गई थी, लेकिंग इसे बाद में नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया कर गया था.

विपक्षी सांसदों ने मणिपुर का दौरा किया

मणिपुर का दौरा करने वाले विपक्ष के सांसदों ने सोमवार को विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों के, संसद के दोनों सदन के नेताओं को हिंसा प्रभावित राज्य की स्थिति से अवगत कराया।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, इन सांसदों ने संसद भवन के एक कक्ष में इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं से मुलकात की। इस मौके पर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव और कई अन्य दलों के नेता मौजूद थे।

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया’ का एक प्रतिनिधिमंडल 29 जुलाई को हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचा था। प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि अगर मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

इस प्रतिनिधिमंडल ने इंफाल स्थित राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की थी। साथ ही मणिपुर में शांति एवं सौहार्द लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर प्रतिनिधिमंडल ने उसे राज्यपाल को सौंपा था।

बता दे कि मणिपुर में फैली हिंसा के मध्य में मैतेई और कुकी समाज है. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी (ST) का दर्जा मांग रहा है. 20 अप्रैल को, मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने इस मामले में एक आदेश दिया जिसके तहत राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था.

कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था, और फिर राज्य में विरोधी गुटों के आमने -सामने आने जातीय हिंसा (Ethnic Violence) ने पुरे प्रदेश को अपने आगोश में ले लिया .

ITLF के प्रवक्ता के खिलाफ FIR दर्ज

मणिपुर पुलिस ने विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सार्वजनिक शरारत करने के आरोप में इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (ITLF) के प्रवक्ता गिन्जा वुएलजोंग के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि, प्रवक्ता ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया है।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, मणिपुर पुलिस ने एक व्यापारी से मिली शिकायत के आधार पर जीरो एफआईआर’ दर्ज की है। मणिपुर पुलिस ने इंफाल उपसंभाग में धर्म, नस्ल आदि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने, मानहानि, अफवाह फैलाने और दो समुदायों के बीच वैमनस्यता पैदा करने से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मामले की जांच के लिए प्राथमिकी को बाद में तामेंगलोंग जिले के खोंगसांग थाने में भेजा जाएगा। शिकायत व्यापारियों द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिन्हें डर था कि वुएलजोंग के उस बयान के बाद खोंगसांग रेलवे स्टेशन पर उनका सामान लूट लिया जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि बहुसंख्यक समुदाय ट्रेन के माध्यम से घाटी में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी कर रहा है। खोंगसांग राज्य का आखिरी स्टेशन है, जो रेलवे संपर्क से जुड़ा है।

गौरतलब है कि आरोपों को निराधार बताते हुए वुएलजोंग ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करना राज्य सरकार द्वारा "आदिवासियों की आवाज़ को दबाने" का एक और तरीका है।