गुजरात 'फेक एनकाउंटर' मामले की सुनवाई मार्च में - सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को गुजरात में 2002 से 2006 तक के कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों (Alleged Fake Encounter Cases) की जांच की मांग वाली याचिकाओं को मार्च में सुनवाई करने की बात कही है. यह मामला जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया जिसे 15 मार्च को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज और गीतकार जावेद अख्तर ने 2007 में याचिका दायर कर कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग की थी. वहीं वर्गीज का 2014 में ही निधन हो गया था. मार्च में फिर से सुनवाई के लिए मामले को पोस्ट करने वाली बेंच ने कहा कि पार्टियों को सुनने पर यह सामने आया कि "आखिरकार यह मुद्दा अब तीन मुठभेड़ों के आसपास घूमता है".
एच एस बेदी समिति रिपोर्ट
शीर्ष अदालत ने 2002 से 2006 तक 17 कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एचएस बेदी के तहत एक निगरानी समिति का गठन किया था. समिति ने 2019 में एक सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें उन्होने जांच किए गए 17 मामलों में से तीन में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी. इससे पहले उक्त याचिका पर नवंबर 2022 में सुनवाई हुई थी.
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अंतिम रिपोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अंतिम रिपोर्ट में जस्टिस बेदी ने कहा कि गुजरात पुलिस के अधिकारियों ने प्रथम दृष्टया तीन लोगों- समीर खान, कसम जाफर और हाजी इस्माइल को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था.
समिति ने इंस्पेक्टर रैंक के तीन अधिकारियों सहित कुल नौ पुलिस अधिकारियों को आरोपित किया हालांकि, उसने किसी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश नहीं की गई.
9 जनवरी, 2019 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने समिति की अंतिम रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखने की गुजरात सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था और आदेश दिया था कि इसे याचिकाकर्ताओं को दिया जाए.