पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती को चुनौती देने वाली याचिका पर SC कल करेगा सुनवाई
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पंचायत चुनाव में हुए हिंसा की घटनाओं को लेकर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव से पहले राज्य के सात जिलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया था.
Written By My Lord Team | Published : June 19, 2023 12:54 PM IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों को तैनात करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार को तैयार हो गया. शीर्ष कोर्ट ने कहा की पश्चिम बंगाल में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य निर्वाचन आयोग और ममता सरकार की अर्जी पर वह मंगलवार को सुनवाई करेगा.
निर्वाचन आयोग की ओर से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने वेकेंशन बेंच के सामने यह मामला आज रखा था. बता दें की कलकत्ता हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव से पहले राज्य में हिंसा की घटनाओं को देखते हुए 48 घंटे में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश दिया था. इसके खिलाफ दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
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पंचायत चुनाव में हुए हिंसा की घटनाओं को लेकर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव से पहले राज्य के सात जिलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया था.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, राज्य में आगामी पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की सुरक्षा में कथित प्रशासनिक विफलता पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की.
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वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा के राज्यसभा सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ को सूचित किया कि जब पुलिस सुरक्षा में उम्मीदवारों का एक समूह नामांकन दाखिल करने के लिए जा रहा था, तब एक उम्मीदवार की पुलिस के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी गई.
अदालत ने जताई नाराजगी
माकपा नेता भट्टाचार्य ने सवाल किया, हत्यारों में से एक पकड़ा गया और उसने बताया है कि उसे कैनिंग (पूर्व) से तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला ने 5,000 रुपये की सुपारी दी थी. उन्होंने कोर्ट के समक्ष प्रश्न रखा की सभी उम्मीदवारों के लिए आवश्यक सुरक्षा सुनिश्चित करने के अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस के सामने ऐसा सुनियोजित हमला कैसे हो सकता है?
रिपोर्ट के अनुसार, यह सुनकर जस्टिस मंथा ने कहा कि कोर्ट आम लोगों की जिंदगी को लेकर काफी चिंतित है, और कहा की यह सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा है. "यह क्या हो रहा है? मुझे लगा कि इन सबके बाद पुलिस ने भांगर पुलिस स्टेशन में एक आधिकारिक प्राथमिकी दर्ज की होगी, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ.'
इस तरह की अकल्पनीय स्थिति पर नाराजगी दिखाते हुए जस्टिस मंथा ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे और बताए कि न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने में असमर्थ क्यों है.
साथ ही, अदालत के राज्य सरकार को पूछा की इस मामले में विफल रहने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.