Supreme Court ने CGST एक्ट में मुनाफाखोरी विरोधी प्रावधानों को चुनौती देनेवाली याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सीजीएसटी एक्ट (CGST Act) में मुनाफाखोरी के विरोधी प्रावधानों की वैधता पर केन्द्र से जबाव मांगा है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सीजीएसटी एक्ट (CGST Act) के मुनाफाखोरी विरोधी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता (Constitutional Validity) बरकरार रखने की इजाजत दी थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
क्या है मामला?
ये याचिका उन कंपनियों ने दायर की है जिन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिला है. इन कंपनियों को इनपुट क्रेडिट टैक्स में मिले लाभ को अपने उपभोक्ताओं को ब्याज सहित देने के निर्देश दिए गए थे.
इन याचिकाओं में केन्द्रीय कर वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. याचिका में 2017 के नियम 122, 124, 126, 127, 129,133 और 134 (मुनाफाखोरी विरोधी प्रावधान) की वैधता को भी चुनौती दी गई है. इन याचिकाओं में मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) के उस नोटिस को चुनौती दी गई है जिसमें कंपनियों पर जुर्माना लगाने के प्रस्ताव है.
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दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने इन अधिनियम और मुनाफाखोरी विरोधी उपायों को उपभोक्ता के कल्याण योग्य पाया. कोर्ट ने कहा कि एनएए एक जांच इकाई है, जो ये देखता है कि क्या आपूर्तिकर्ताओं ने धारा 171 के अनुसार अनिवार्य कीमतों के माध्यम से उपभोक्ताओं को लाभ दिया है या नहीं. यहां लाभ इनपुट टैक्स क्रेडिट पाने वालों के लिए कहा गया है.
मुनाफाखोरी विरोधी नियमों को SC में चुनौती
हाईकोर्ट के फैसले को इन याचिकार्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. एक याचिकाकर्ता एक्सेल रसायन ने धारा 171 और धारा 131 को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की. याचिकाकार्ता ने तर्क दिया मुनाफाखोरी प्रावधानों में इसकी गणना के लिए कोई पैरामीटर नहीं दिए गए है.
इनपुट टैक्स क्रेडिट : एक दुकानदार द्वारा समान खरीदने के दौरान दिए गए टैक्स को समान बिक्री के दौरान मिले टैक्स को घटाने इनपुट टैक्स क्रेडिट आता है. यह पहले से भुगतान किए टैक्स का एक हिस्सा पाने का तरीका है.