'सैनिक की विधवा को पेंशन के लिए अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए', सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को मुकदमे का खर्च भी देने को कहा
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (Armed Forces Tribunal )के उस फैसले के खिलाफ भारत संघ की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें एक सैनिक की विधवा को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन (LFP) और अतिरिक्त लाभ दिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार पर पचास हजार का जुर्माना लगाते हुए कहा कि सैनिक की विधवा को अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए था. बता दें कि इस मामले में नायक इंद्रजीत सिंह की मृत्यु कश्मीर के नियंत्रण रेखा (LoC) पर एरिया डोमिनेशन गश्त के दौरान हुई थी, आइये जानते हैं कि केन्द्र ने सैनिक की पत्नी को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन (LFP) पेंशन का विरोध क्यों किया, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार के इस रवैये पर क्या फैसला सुनाया...
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र पर क्यों लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने केन्द्र की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें विधवा को एलएफपी देने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
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"इस मामले में, उत्तरदाता (सैनिक की विधवा पत्नी) को इस न्यायालय में नहीं लाया जाना चाहिए था. अपीलकर्ता (केन्द्र सरकार) को एक मृत सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी."
इस फैसले के चलते सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार पर पचास हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है.
केन्द्र ने पेंशन आर्डर का क्यों किया विरोध
केन्द्र सरकार ने बार्डर पर तैनात सिपाही के मौत के कारण को पहले बैटल कैजुल्टी बताया था, जिसे बदलकर बाद में सेना सेवा के दौरान हानि में तब्दील कर दिया. जिसके चलते सैनिक की विधवा पत्नी को एलएएफ दी गई थी, लेकिन मौत के कारणों में बदलाव होने के कारण केन्द्र ने उसके एलएएफ की मांग को मानने से इंकार कर दिया. सैनिक की विधवा पत्नी ने इसे आर्म्ड फौर्सड ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी. ट्रिब्यूनल ने उसके दावे को बरकरार रखते हुए 23 अगस्त, 2019 को उनकी पत्नी की याचिका को मंजूर किया और उन्हें विशेष पारिवारिक पेंशन और युद्ध हानियों के लिए एकमुश्त राशि देने का निर्देश दिया. ट्रिब्यूनल के फैसले को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
क्या है मामला?
नाइक इंदरजीत सिंह ने 27 फरवरी 1996 को भारतीय सेना में सेवा शुरू की. 23 जनवरी 2013 को, सिंह ने जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC)के पास ऑपरेशन रक्षा के तहत एक क्षेत्र प्रभुत्व गश्ती के दौरान सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की, जिसके बाद सिपाही की मौत का कारण कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट के रूप में दर्ज किया गया है. यहां पर पहले उनकी मृत्यु को 'युद्ध हानि' (Battle Casulty) के रूप में दर्ज किया गया, लेकिन बाद में इसे 'सैन्य सेवा से संबंधित शारीरिक हानि' (Physical Casualty attributable to Military Service) में बदल दिया गया. मौत के कारण बदलने पर केन्द्र ने पेंशन में एलएएफ की सुविधा देने से इंकार किया है.