बॉम्बे HC के चीफ जस्टिस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली PIL खारिज, SC ने कहा- हमारे लिए हर एक मिनट कीमती है
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ( Justice Devendra Kumar Upadhyaya) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) खारिज की. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया. याचिकाकर्ता का कहना था कि जस्टिस उपाध्याय को दिलाई गई शपथ दोषपूर्ण थी. याचिका का उल्लेख भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY ChandraChud) और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने किया गया. बेंच ने कहा कि तुच्छ मामलों के लिए अदालत की सहनशीलता की एक सीमा है.
सीजेआई ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट में तुच्छता की एक सीमा है. हर एक मिनट हमारे लिए कीमती है. इस मामले की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये जमा करना होगा."
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याचिका में क्या कहा गया?
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में ने शपथ लेते समय अपना नाम लेने से पहले 'मैं (I)' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. ये संविधान की तीसरी अनुसूची का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के प्रतिनिधियों को शपथ में आमंत्रित नहीं किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि चूंकि शपथ राज्यपाल ने दिलाई थी और बाद में सदस्यता ली थी, इसलिए ऐसी आपत्तियां नहीं उठाई जा सकतीं.
CJI चंद्रचूड़ ने आखिरी में कहा कि ये याचिकाकर्ता के लिए प्रचार पाने का एक तुच्छ प्रयास है.ये अधिक गंभीर मामलों से अदालत का ध्यान भटकाता है और न्यायिक जनशक्ति और संसाधनों का उपभोग करता है. ऐसी याचिकाओं को खारिज किया जाता है. साथ ही याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाता है.