Electoral Bond: अब से देना पड़ेगा राजनैतिक चंदे का हिसाब, Supreme Court ने खारिज की ये योजना
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाई है. कोर्ट ने राजनैतिक पार्टियों को अज्ञात रूप से मिलने वाले चुनावी बॉन्ड स्कीम (Electoral Bond Scheme) खारिज की, साथ ही चुनाव आयोग (Election Commission Of India) से 2019 से मिले राजनीतिक चंदे (Political Donatitions) की जानकारी को 13 मार्च तक बेवसाइट पर डालने को कहा है. कोर्ट ने एसबीआई (SBI) को भी चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की सूची देने के आदेश दिया है.
चुनावी बॉन्ड योजना हुई खारिज
पांच जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड योजना की योग्यता पर सुनवाई की. पांच जजों की बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बी आर गवई, जेबी पारदीवाला, और मनोज मिश्रा शामिल है. बेंच ने चुनावी बॉन्ड स्कीम की योग्यता किया है. साथ ही इस योजना के आने से इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (People Representation Act) मे किए गए बदलाव को भी पूर्ववर्तित कर दिया है.
चुनावी बॉन्ड से हुआ RTI का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के विपरीत पाया. जिससे व्यक्ति की भाषण और अभिव्यक्ति स्वतंत्रता को प्रभावित होता पाया.
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कोर्ट ने कहा,
"चुनावी बॉन्ड योजना, इनकम टैक्स के सेक्शन 29(1)(C) और फाइनेंस एक्ट, 2107 के सेक्शन 13(b) में बदलाव कर लाया गया था. ऐसा करने से अनुच्छेद 19 (1)(a) का उल्लंघन होता पाया."
कोर्ट ने चुनाव आयोग और एसबीआई को निर्देश दिया, कि वे जल्द से जल्द राजनीतिक पार्टी को चंदे से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करें. एसबीआई को चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाई. अब तक बेचे गए चुनावी बॉन्ड को वापस लेकर पैसे को कस्टमर के खाते में भेजने के आदेश दिए हैं.
बिके बॉन्ड की जानकारी दे आयोग
बेंच ने 2 नवंबर, 2023 के दिन चुनावी बॉन्ड की वैधता पर सुनवाई की थी. इस दौरान कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वे 30 नवंबर, 2023 तक इस योजना के अंतर्गत बिके चुनावी बॉन्ड की जानकारी मांगी थी.
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना?
साल 2018 में सरकार ने चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का नोटिफिकेशन जारी किया. चुनावी चंदे केवल वे राजनीतिक दल ही प्राप्त कर सकते हैं, जो लोक प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड है. साथ ही इन पार्टियों को पिछले चुनाव में एक प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं. ये इलेक्टोरल बॉन्ड एसबीआई के चिन्हित 29 शाखाओं से खरीदे जा सकते हैं.
कौन खरीद सकता है चुनावी बॉन्ड?
भारत का कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था इस चुनावी बॉन्ड को खरीद सकती है. ये बॉन्ड एक हजार रूपये से लेकर एक करोड़ रूपये तक हो सकते हैं. ये बॉन्ड एसबीआई की शाखा से खरीद कर मनचाहे राजनीतिक पार्टी को दे सकतें है. चुनावी बॉन्ड में डोनर का नाम नहीं होता है.