अविवाहित महिला का सरोगेसी चुनना भारतीय मूल्यों और विवाह के बंधन का हनन? Supreme Court ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार (6 फरवरी, 2024) के दिन 44 वर्षीय अविवाहित महिला की सरोगेसी (Surrogacy) से मां बनने की याचिका खारिज की. कोर्ट ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि देश में शादी (marriage) जैसे संस्थान को बचाने की जरूरत है. यहां (भारत में) समाजिक आदर्श शादी के बाद बच्चे (Child) को जन्म देने का है. ये पश्चिमी देशों (Western Countries) से इतर है, जहां सिंगल पैरेंट बनने का चलन सामान्य है.
Surrogacy से सिंगल पैरेंट बनने की नहीं है इजाजत
जस्टिस बी.वी. नागरत्न और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने अविवाहित महिला के सरोगेसी की प्रक्रिया से मां बनने वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भारत में सामाजिक आदर्श शादी के दायरे में बच्चे पैदा करने का है, जो पश्चिमी देशों के चलन के विपरीत है जहां शादी के बाहर बच्चे पैदा करना एक सामान्य चलन आम है. कोर्ट ने महिला को एडॉप्शन (Adoption) की राय दी, जिससे उसने मना कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
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हमारे यहां (भारत में) समाजिक आदर्श शादी के बाद बच्चे को जन्म देने का है. बिना शादी के मां (सिंगल पैरेंट) बनने की मांग करना, ये बात हमारी चिंता बढ़ाती है. हम ये फैसला बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखकर ले रहे हैं. क्या शादी जैसी संस्था इस देश में बनी रहनी चाहिए या नहीं? हम पश्चिमी देशों के जैसे नहीं है. शादी जैसी संस्थाओं को बनाए रखने की जरूरत है. इस फैसले पर आप हमें रुढ़िवादी (Conservative) कह सकती हैं, ये हमें स्वीकार होगा.
क्या कहता है Surrogacy का कानून
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 (Surrogacy Regulation Act 2021) के अनुसार, केवल विवाहित जोड़े या विधवा/तलाकशुदा महिलाएं जो 35-45 वर्ष की आयु के बीच हों, सरोगेसी का लाभ उठा सकती हैं. इसमें अविवाहित महिलाओं के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
Supreme Court ने खारिज की याचिका
याचिकाकर्ता एक मल्टीनेशनल कंपनी मे कार्यरत है और सरोगेसी कानून के सेक्शन 2(s) को चुनौती देते हु्ए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सेक्शन 2(s) में तय आयु सीमा के अंदर विवाहित या विधवा महिला सरोगेसी के जरिए बच्चे का अधिकार रखती है. इस कानून में अविवाहित महिला को ये अधिकार नहीं है. 44 वर्षीय महिला ने अपनी याचिका में उन्होंने शादी के बिना पैरेंट बनने की इजाजत देने की मांग की रखी. इसे कोर्ट ने समाजिक और बच्चे के भविष्य में होनेवाली परेशानी को देखते हुए खारिज कर दिया.