Supreme Court का डी के शिवकुमार के खिलाफ CBI जांच पर रोक लगाने के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार
नयी दिल्ली: भ्रष्टाचार के एक मामले में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच पर अंतरिम रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मामले में उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील खारिज कर दी।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई के पक्ष में आदेश होने के बावजूद जांच पर अंतरिम रोक लगाने की मंजूरी दे दी थी।
शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भाषा की कहा कि सीबीआई ने उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की है, लेकिन उच्च न्यायालय की खंडपीठ के बाद में दिए अंतरिम आदेशों को चुनौती देने से इनकार कर दिया है।
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जानकारी के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करेगा और उसने सीबीआई को उच्च न्यायालय से मामले के त्वरित निस्तारण का अनुरोध करने की अनुमति दे दी।
क्या था शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार मामला
10 फरवरी को, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, साथ ही एजेंसी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज मामले में एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि मामले वर्ष 2020 के हैं।
अदालत ने पिछले दो वर्षों में जांच की प्रगति पर सीबीआई से भी जानकारी मांगी थी, और पूछा था कि वह अंतिम रिपोर्ट कब दाखिल करेगी। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख तक कार्यवाही रोक दी थी और मामले को स्थगित कर दिया था।
आपको बता दें कि आयकर विभाग ने 2017 में शिवकुमार के परिसरों में छापे मारे थे। विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। ईडी की जांच के आधार पर सीबीआई ने कर्नाटक सरकार से कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शिवकुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी .
यह मंजूरी 25 सितंबर 2019 को मिली और तीन अक्टूबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज की गई जिसके विरुद्ध शिवकुमार ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।