‘राष्ट्रीय पुरुष आयोग’ बनाने संबंधी PIL पर सुनवाई से Supreme Court का इनकार
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने घरेलू हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं से निपटने के लिए दिशा निर्देश बनाने और उनके हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग’’ स्थापित करने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने मामले पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि, आप केवल एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं. क्या आप हमें शादी के तुरंत बाद जान गंवाने वाली युवतियों का आंकड़ा दे सकते हैं?...कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह अलग-अलग मामलों के तथ्यों पर निर्भर करता है.’’
NCRB की रिपोर्ट
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, शीर्ष न्यायालय वकील महेश कुमार तिवारी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें भारत में दुर्घटनावश मौत पर 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि उस साल देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की.
Also Read
- मुस्लिम कानून में उपहार के लिए लिखित दस्तावेज अनिवार्य नहीं... सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
- सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को जारी किया नोटिस, अब 14 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
- तेलंगाना में 42% OBC आरक्षण देने के राज्य के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सोमवार को हो सकती है अहम सुनवाई
उनमें से 81,063 विवाहित पुरुष थे जबकि 28,680 विवाहित महिलाएं थीं. याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है, 2021 में करीब 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण जान दी और 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने विवाह संबंधित मुद्दों के कारण आत्महत्या की.
इस साल कुल 1,18,979 पुरुषों ने खुदकुशी की जो करीब 72 प्रतिशत है और कुल 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की जो करीब 27 प्रतिशत है.’’ याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतें स्वीकार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.