सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरकाशी में 'लव जिहाद' के विरोध में होने जा रही महापंचायत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इंकार
नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लव जिहाद के विरोध में 15 जून को होने जा रही महापंचायत के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कि अवकाशकालीन पीठ ने बुधवार को सुनवाई से इंकार किया। उच्चतम न्यायालय के पुराने फैसले का हवाला देते हुए, वकील शाहरूख आलम ने हेट स्पीच को लेकर पीठ के सामने मामले को उठाया था
मामले की सुनवाई से इंकार करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम रखना राज्य की ज़िम्मेदारी है, अतः आप सम्बंधित हाई कोर्ट के सामने अपनी बात रखें। पीठ ने यह भी कहा कि आपको हाई कोर्ट पर भी विश्वास रखना चाहिए।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाश पीठ ने अधिवक्ता शारुख आलम से कानून में उपलब्ध विकल्पों को चुनने और उच्च न्यायालय अथवा किसी अन्य प्राधिकरण के पास जाने की बात कही.
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साथ ही पीठ ने कहा कि, हम कानूनी प्रक्रियाओं के विपरीत नहीं जाना चाहते। उच्च न्यायालय है और जिला प्रशासन है, आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और आपको क्या लगता है कि अगर मामला उसके संज्ञान में लाया जाता है तो कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। आपको उच्च न्यायालय में विश्वास रखना चाहिए।’’
इस पर आलम ने कहा कि पोस्टर और पत्रों के जरिये एक विशेष समुदाय के सदस्यों को उत्तरकाशी छोड़ने के लिए कहा गया है और नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में पुलिस को स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए लेकिन उसकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जानकारी के अनुसार, आलम ने कहा, उपलब्ध सामग्री से पता चलता है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है। 15 जून को एक महापंचायत होने वाली है और उन्होंने जिला प्रशासन को 15 जून तक एक विशेष समुदाय के सदस्यों को हटाने का अल्टीमेटम दिया है।’’
मुस्लिम जनप्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री धामी से मिला
राज्य सरकार ने पुरोला में तनाव को नियंत्रित करने के लिए 15 जून को होने वाली महापंचायत के आयोजनकतार्ओं को अनुमति नहीं दी है। इसके अलावा पुरोला में धारा 144 लागू करने की तैयारी की जा रही है। न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, प्रशासन से विश्व हिंदू परिषद और प्रधान संगठन की ओर से इस सम्बन्ध में अनुमति मांगी गई थी।
बता दे कि पुरोला मसले पर कुछ मुस्लिम विधायकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने साफ कहा, किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
खबरों के अनुसार, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स, लक्सर विधायक हाजी मौ शहजाद, राज्य हज समिति के अध्यक्ष खतीब अहमद, वक्फ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अनीस, सदस्य इकबाल अहमद, राज्य हज समिति सदस्य नफीस अहमद ने मांग की कि पहाड़ में माहौल खराब कर रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की की जाए।
पीढ़ियों से राज्य में रह रहे लोगों को कुछ असामाजिक तत्व प्रताड़ित कर रहे हैं। जिससे समुदाय विशेष के लोग पलायन कर रहे हैं।
क्या है पुरोला मामला
गत 26 मई को बिजनौर निवासी जितेंद्र सैनी और उवेस खान ने पुरोला में एक नाबालिग लड़की को भगाने का प्रयास किया। जिन्हें स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने पकड़ा। इस घटना के बाद, पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों के विरुद्ध स्थानीय व्यापारियों और स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ा।
तब से अभी तक पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की एक भी दुकान नहीं खुल पाई है। पुरोला में 30 से अधिक दुकानें पिछले 18 दिनों से बंद हैं। जबकि 14 व्यापारियों ने दुकानें खाली कर दी हैं।
बता दे की नाबालिग लड़की को भगाने की घटना को 18 दिन बीत गए हैं। लेकिन, पुरोला में अभी तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं। बल्कि 15 जून को होने वाली प्रस्तावित महापंचायत को लेकर मुस्लिम व्यापारियों में डर का माहौल और अधिक बढ़ गया है।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वीमुरुगेसन ने आईएएनएस को बताया कि, कल डीजीपी अशोक कुमार ने सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर एक बैठक की है, खासतौर पर पुरोला और उत्तराकाशी की स्थिति को लेकर। बैठक में आईजी रेंज के अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में मौजूद सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया कि उन्हें किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था बनाए रखनी है। जो भी कानून को अपने हाथों में लेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब हो की पुरोला में जो मुस्लिम व्यापारी हैं जिनके अपने मकान हैं। वह भी 15 जून की महापंचायत को देखते हुए कुछ दिन के लिए अपने रिश्तेदारों के घर देहरादून व अन्य स्थानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं।