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धन शोधन के मामले में Yes Bank संस्थापक Rana Kapoor को Supreme Court से नहीं मिली जमानत

Supreme Court on Money Laundering case

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने मामले में जांच की धीमी गति के लिए ईडी की खिंचाई की और कहा कि कपूर ने देश की पूरी वित्तीय प्रणाली को हिलाकर रख दिया है।

Written By My Lord Team | Published : August 5, 2023 10:45 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन मामले में यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को जमानत देने से इनकार करते हुए शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा कि उच्च जोखिम वाले असाधारण मामलों को उच्च प्राथमिकता पर लिया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने मामले में जांच की धीमी गति के लिए ईडी की खिंचाई की और कहा कि कपूर ने देश की पूरी वित्तीय प्रणाली को हिलाकर रख दिया है।

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समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से कहा, “कुछ मामले ऐसे होते हैं जो असाधारण होते हैं और जिनमें बहुत बड़ा जोखिम होता है। आपको इसे उच्च प्राथमिकता पर लेना होगा। आप इसे इस तरह नहीं ले सकते। मुद्दा यह है कि एक बार उन्हें जमानत मिल गई, तो आप अगले सौ साल तक सुनवाई पूरी नहीं कर पाएंगे।”

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राजू ने कहा कि विदेशों में पहुंच गये धन के लेन-देन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है और इसलिए जांच एजेंसी को विदेशों से टुकड़ों में जानकारी मिलती है और इसलिए देरी होती है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि केस डायरी को देखकर लगता है कि चीजें धीमी गति से चल रही हैं।

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पीठ ने अंततः वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और कहा कि हिरासत में आधी सजा पूरी करने के बाद वह (कपूर) जमानत के लिए नई याचिका दायर कर सकते हैं। सिंघवी ने कहा कि जिस अपराध के लिए कपूर पर आरोप लगाया गया है, उसमें उनकी कुल सजा की आधी सजा काटने में एक महीना कम है और सार्वजनिक धन की कोई हानि नहीं हुई है।

पीठ ने कहा, “क्षमा करें, यह इस समय हस्तक्षेप करने लायक मामला नहीं है। आप कुछ समय बाद आ सकते हैं।” बंबई उच्च न्यायालय ने डीएचएफएल धनशोधन मामले में कपूर को जमानत देने से इनकार कर दिया था और टिप्पणी की थी कि वह (कपूर) इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक थे और उन पर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का “गंभीर आरोप” है।