Advertisement

Sedition Case: केन्द्र ने Supreme Court से कहा, सरकार धारा 124A की समीक्षा कर रही है

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर 16 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : May 1, 2023 4:12 PM IST

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने देशद्रोह कानून में बदलाव को लेकर दायर याचिका में जवाब पेश करते हुए कहा है कि वह आईपीसी की धारा 124A की समीक्षा कर रही है.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर 16 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है.

Advertisement

सरकार की ओर से कहा गया कि देशद्रोह को अपराध ठहराने वाली भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए की फिर से जांच की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.

Also Read

More News

मानसून सत्र में प्रस्ताव

केन्द्र सरकार की ओर से देशद्रोह के कानून में बदलाव और समीक्षा के लिए और अधिक समय देने का अनुरोध किया गया. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इस मामले को संसद के मानसून सत्र के बाद रखने का भी अनुरोध किया.

Advertisement

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने केन्द्र के जवाब के बाद मामले की सुनवाई को अगस्त के दूसरे सप्ताह तक के लिए टाल दिया है.

देशद्रोह का कानून और रिकॉर्ड

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 से 2020 के बीच देशद्रोह के 356 मामले दर्ज करते हुए 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. हालाकि इन 6 सालों के दौरान देशद्रोह के सात मामलों में गिरफ्तार 12 लोगों को ही दोषी करार दिया गया.

देश इस कानून के दुरूपयोंग के खिलाफ उभरती आवाज के बीच एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसजी वोमबटकेरे, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) सहित कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई, 2022 को अपने आदेश में देशद्रोह कानून को ठंडे बस्ते में रखने के निर्देश देते हुए देश में आईपीसी की धारा 124ए के तहत देशद्रोह के अपराध के लिए कोई भी मामला दर्ज पर रोक लगा दी थी.

31 अक्तूबर 2022 को देशद्रोह कानून की समीक्षा के लिए सरकार से उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कार्य को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अतिरिक्त समय भी दिया था.