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Menstrual Hygiene Policy पर जो राज्य कोई जवाब नहीं देंगे, उनपर कानूनी कार्रवाई होगी: Supreme Court

Supreme Court warning to states on menstrual hygiene policy

देश में धर्म स्वच्छता पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए केंद्र को अन्य राज्यों के मत चाहिए हैं लेकिन केंद्र सरकार को अब तक सिर्फ चार राज्यों से जवाब मिला है। इसपर सर्वोच्च न्यायालय का यह कहना है कि अगर 31 अगस्त, 2023 तक राज्यों ने जवाब नहीं दिया तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा...

Written By Ananya Srivastava | Published : July 25, 2023 9:29 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने उन राज्यों को चेतावनी दी, जिन्होंने स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता (Menstrual Hygiene) पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने पर अभी तक केंद्र को अपना जवाब नहीं सौंपा है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर वे 31 अगस्त तक ऐसा करने में विफल रहे तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यह चेतावनी तब आई जब केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उसे अब तक केवल चार राज्यों से जवाब मिला है।

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SC ने राज्यों को दिया ये निर्देश

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud), न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की पीठ ने सोमवार को जवाब न देने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 31 अगस्त तक हर हाल में उत्तर देने का निर्देश दिया।

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केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (Additional Solicitor General Aishwarya Bhati) ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार को अब तक केवल चार राज्यों - हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से जवाब प्राप्त हुआ है।

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शीर्ष अदालत ने केंद्र से की थी ये मांग

शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल को केंद्र से एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) तैयार करने और स्कूली छात्राओं से संबंधित मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय मॉडल तैयार करने को कहा था।

यह उल्लेख करते हुए कि मुद्दा "अत्यधिक महत्वपूर्ण" है, शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र को सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों सहित विद्यालयों में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन पर एक समान राष्ट्रीय नीति लागू करने के लिए सभी हितधारकों के साथ जुड़ना चाहिए।

कैसे हुई थी मामले की शुरुआत?

मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कक्षा छह से 12 तक प्रत्येक छात्रा को मुफ्त सैनिटरी पैड और सभी सरकारी सहायता प्राप्त एवं आवासीय स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय का प्रावधान सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान भाटी ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने पूर्व में मासिक धर्म स्वच्छता पर एक राष्ट्रीय नीति बनाने या अद्यतन करने के लिए व्यापक निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा, "आपने राज्यों को चार सप्ताह के भीतर हमें अपना जवाब देने का निर्देश दिया था। दुर्भाग्य से, हमें यह केवल चार राज्यों से ही मिला।"

भाटी ने कहा कि बाकी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र को अपना जवाब भेजने का आखिरी मौका दिया जा सकता है। पीठ ने कहा कि भाटी ने कहा है कि शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल के आदेश के अनुसार, केंद्र को केवल दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से जवाब मिला है।

न्यायालय ने कहा ''हम जवाब देने में विफल रहे अन्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश देते हैं कि 31 अगस्त, 2023 तक अपना जवाब हर हाल में भेजें।'' इसने कहा कि इसके आदेश की एक प्रति शेष राज्यों के मुख्य सचिवों को अनुपालन के लिए उपलब्ध कराई जाए। पीठ मामले में अगली सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह में करेगी।