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बिना पुलिस सुरक्षा के सुप्रीम कोर्ट जजों ने किया खुली जेल का दौरा, कैदियों के घर में बैठकर की घंटों बातें

राजस्थान में खुली जेल के प्रोजेक्ट को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजीव भट ने जयपुर की सांगानेर खुली जेल का दौरा किया है. इस दौरे के दौरान तीनो जज खुली जेल की व्यवस्थाओं को लेकर बेहद प्रभावित नजर आए.

Written By Nizam Kantaliya | Published : January 30, 2023 7:15 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट राजस्थान में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान ओपन जेल प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया.

राजस्थान में ओपन जेल के सुधार को लेकर प्रयासरत एक एनजीओ के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तीनों जजों ने जयपुर की ओपन जेल का दौरा किया. दौरे के दौरान सुप्रीम कोर्ट जजों के साथ राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य जजों ने भी बिना पुलिस सुरक्षा के ये दौरा किया.

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अपने दौरे के दौरान तीनों जजों ने कैदियों और उनके परिवारों के साथ लगभग तीन घंटे से भी अधिक समय बिताया और खुलकर कैदियों के साथ बातचीत की. यहां तक की कैदियों के बीच विश्वास पैदा करने के सभी जजों ने ना केवल अलग अलग बल्कि अकेले उनके घरों में बैठकर भी बातचीत की.

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सुप्रीम कोर्ट जजों के इस कार्यक्रम के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मिथल, रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एम एम श्रीवास्तव और जस्टिस संदीप मेहता भी साथ रहें.

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इंसान से ही गलती होती है

खुली जेल के दौरे और कैदियों से बातचीत के बाद सभी जज जेल परिसर में ही आयोजित हुए पतंग कार्यक्रम में भी शामिल हुए.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को सुधरने का एक और मौका दिया जाना चाहिए. ओपन जेल प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि ओपन जेल की अवधारणा बंदियों को उनके परिवार के साथ ना केवल जीवन जीने का मौका देती है बल्कि मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी है.

जस्टिस कौल ने कहा कि ओपन जेल कैदियों के लिए सामान्य जीवन जीने के मौके के साथ ही दंड भुगतने की ऐसी जगह है जहां से खुद अपनी खोई पहचान को वापस पा सकते है. उन्होने कहा कि जिस तरह खुले आसमान में पतंग को बिना धागे के छोड़ने पर वह उड़ जाती है और धागा ही पतंग को नियंत्रित करता है, वैसे ही ओपन जेल भी धागे की तरह बंदियों को नियंत्रित करती है और वे अपना जीवन सुधार सकते हैं.

जस्टिस कौल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जिंदगी के कई ऐसे मौके ऐसे होते हैं जिनमें इंसान से गलती होती है, लेकिन गलती को सुधारने का मौका भी दिया जाना चाहिए. हम कानून से बंधे हुए हैं, लेकिन जो भी मदद होगी वो करेंगे.

भरोसे पर आधारित है ये प्रोजेक्ट

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस जस्टिस अनिरुद्द बोस ने कहा कि जेल का विचार आते ही एक बड़ा दरवाजा और बड़ा लगा हुआ ताला दिखाई देता है, लेकिन यहां पर खुले जेल में सब बेहतर है. बंदियों के लिए ओपन कैंप को विकसित करने में राजस्थान ने देशभर में लीड ली है. उन्होंने खुली जेल को खुला शिविर कहने के लिए कहा.

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एस रविन्द्र भट् ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि ये लोग अन्य दूसरे बंदियों से अलग हैं और आमजन की तरह सामान्य जीवन जी रहे हैं. उनकी खुद की पंचायत है और उसके सरपंच भी हैं. जस्टिस भट ने कहा कि ये खुले शिविर भरोसे पर आधारित हैं और इस तरह बंदियों का पुनर्वास भी किया जा सकता है.

देश में सर्वाधिक खुली जेल राजस्थान में

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने राज्य में खुली जेल के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 1952 में देश में एक सम्मेलन में निर्णय लिया था कि जिन कैदियों की सजा का एक भाग पूरा हो गया हो उन्हें बाहर रखा जा सकता है. इसके चलते 1953 में यूपी में बांध के निर्माण में कैदियों से काम लिया गया और उन्हें मानदेय दिया गया.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान में देशभर में 88 खुली जेल हैं.देशभर की इन खुली जेलों में कुल 1347 कैदी अपने परिवार सहित रह रहे है. वही केवल राजस्थान में 41 खुली जेल हैं. जिनमें भी केवल जयपुर में ही 410 बंदी परिवार सहित रहते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने खुली जेल में सीनियर सिटीजन बंदियों को पहले अवसर दिए जाने की भी बात कही.

राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज और रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि देश की न्यायपालिका खुले जेल के प्रोजेक्ट पर महत्वपूर्ण काम कर सकती है और वे ओपन जेल रिफार्म सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे. उन्होने कहा कि राजस्थान को इस पर गर्व है कि वह इस मामले में देश का नेतृत्व कर रहा है.

जस्टिस झवेरी का प्रोत्साहन

गौरतलब है कि राजस्थान में खुली जेल के प्रोजेक्ट लंबे समय से संचालित है लेकिन जस्टिस के एस झवेरी के राजस्थान हाईकोर्ट में जज और रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष रहने के दौरान खुली जेलों को विस्तार देने पर खास जोर दिया गया था.

उनके कार्यकाल के दौरान ही राजस्थान में खुली जेलो को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता चक्रवर्ती और रालसा की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई. जिसे बाद में वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई.

इस रिपोर्ट के चलते जस्टिस के एस झवेरी के साथ ही राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की भी तारीफ हुई.

फैसला दिया अब प्रोजेक्ट से जुड़े जज

सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता चक्रवर्ती और रालसा की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट पर वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट पर स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए अंतरिम आदेश के तहत कई निर्देश जारी किए थे.

सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने इस रिपोर्ट पर स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लिया था उसकी अध्यक्षता तत्कालीन जस्टिस मदन बी लोकूर ने की थी. बेंच ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए देश के सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे कि इस रिपोर्ट में खुली जेल को दिए गए प्रस्तावों को लागू किया जाए.

जस्टिस मदन बी लोकूर ने इस रिपोर्ट पर बाद में वर्ष 2018 में विस्तृत आदेश जारी किया था. जिसके चलते देशभर में खुली जेल के प्रोजेक्ट पर चर्चा शुरू हुई.

जस्टिस लोकूर राजस्थान में खुली जेल के प्रोजेक्ट से इतना प्रभावित हुए की, सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्ति के बाद राजस्थान में खुली जेल के विकास के कार्य से जुड़ गए.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति जागरूकता के लिए सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता चक्रवर्ती की ओर से प्रिज़न एड + एक्शन रिसर्च नाम से एनजीओ का गठन किया गया.

इस एनजीओ में जस्टिस मदन बी लोकूर भी एक बोर्ड सदस्य है. बोर्ड के अन्य सदस्यों राजस्थान पूर्व डीजीपी अजीत सिंह भी है. अजीत सिंह ने राजस्थान की खुली जेलो को लेकर रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी क्योकि वे उस समय राजस्थान में जेल डीजी के पद पर कार्यरत थे.

एक सप्ताह पूर्व पहुंचे थे राजस्थान

राजस्थान की खुली जेल के प्रयासों को देशभर में प्रचार करने के लिए जस्टिस मदन बी लोकूर एक सप्ताह पूर्व राजस्थान पहुंचे थे और तीन दिन तक जेल का दौरा किया.

कार्यक्रम के साथ ही खुले जेल की जानकारी देने के लिए 27 जनवरी को जस्टिस के एस झवेरी के साथ जस्टिस मदन बी लोकूर ने प्रेसवार्ता भी आयोजित की.

कार्यक्रम के पश्चात राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से अधिकारिक रात्रिभोज भी दिया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट जजों के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट के जज भी शामिल हुए.

राजस्थान सीजे की अहम भूमिका

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट से तबादले के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस पंकज मित्थल ने भी राजस्थान में खुली जेलो के विकास में अहम भूमिका निभाई है. चार माह के छोटे से कार्यकाल में भी सीजे पंकज मित्थल ने राजस्थान खुली जेलो में व्यवस्था को बेहतर किया है.

खुली जेल के इस प्रोजेक्ट में राजस्थान को मजबूत करने के लिए रालसा के जरिए भी कई प्रयास किए गए. इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए ही मुख्य न्यायाधीश ने एक एनजीओ के कार्यक्रम के बावजूद और बिना सुरक्षा के जेल का दौरा किया. ताकि कैदियों से बेहतर फीडबैक मिल सके.

कैदियों से मिला फीडबैक ही इतना मजबूत था कि सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस संजय किशन कौल सहित सभी जजों ने राजस्थान में खुली जेल के प्रोजेक्ट की तर्ज पर देशभर में लागू करने पर नालसा के जरिए विचार कर रहें है.