गिरफ्तारी की 'अनिवार्यता या आवश्यकता' पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी विचार, केजरीवाल ने 'ED की गिरफ्तारी' को दी है चुनौती
Arvind Kejriwal Got Interim Bail: अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने जमानत दे दी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री की याचिका को आगे की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास रेफर किया है. सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच PMLA 19 के तहत गिरफ्तारी की वैधता पर विचार करेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर बड़ी बेंच अपने फैसले के अनुसार 'अंतरिम जमानत' के फैसले को संशोधित कर सकती है.
केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में 21 मार्च को प्रवर्नत निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था. शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले में भ्रष्टाचार की जांच कर रही CBI ने अरविंद को 25 जून को गिरफ्तार किया है. केजरीवाल को जमानत ED के मामले में मिली है. सीबीआई मामले के चलते उन्हें न्यायिक हिरासत में ही रहना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने केजरीवाल की 'ED की गिरफ्तारी' को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने गौर किया कि अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय से जेल में हैं.
Also Read
- CJI पर जूता फेंकने वाले वकील की बढ़ी मुश्किलें, AG ने 'अवमानना' की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत दी
- दिवाली पर Delhi-NCR के लोग फोड़ सकेंगे पटाखें, इन शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दी ये इजाजत
- बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत की मांग, शरजील इमाम ने Delhi Court से याचिका वापस ली, अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
बेंच ने कहा,
"हम मामले में अब तक की स्थितियों को देखते हुए केजरीवाल को जमानत देने का फैसला किया है."
अब अदालत ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 और धारा 45 के बीच अंतर पर चर्चा की.
धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA, 2002) की सेक्शन 19:
ED अधिकारियों को उसके पास उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह मानने का कारण देती है कि वह व्यक्ति संलिप्त है. यह सेक्शन व्यक्ति को गिरफ्तार करने का आदेश देती है.
PMLA सेक्शन 45:
यह दोहरी शक्ति पर आधारित है, इसे अंतर्गत व्यक्ति को जमानत देने का फैसला अदालत को लेना पड़ता है.
न्यायालय को विश्वास है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है.
अदालत ने कहा,
"हमने केवल पीएमएल की धारा 19 के मापदंडो की जांच की है. हमने पाया कि क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता को धारा 19 में पढ़ा जा सकता है, जो आनुपातिकता के सिद्धांत पर आधारित है, इसे एक बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए.."
अदालत ने पीएमएलए मामले में गिरफ्तारी की 'आवश्यकता और अनिवार्यता' (Necessary Or Manadatory) पर विचार करने के लिए मामले को बड़ी बेंच के पास रेफर किया है.