OBC Certificate कैंसिंलेशन के खिलाफ SC में सुनवाई 2 सितंबर को तय, बंगाल सरकार ने कलकत्ता HC के फैसले को दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में 2010 से जारी सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्रों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 2 सितंबर की तारीख तय की. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा और समय मांगे जाने के बाद कार्यवाही को एक सप्ताह के लिए स्थगित करने का फैसला किया.
इससे पहले की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने विशेष अनुमति याचिकाओं के बैच की जांच करने पर सहमति जताई थी और कलकत्ता उच्च न्यायालय के कथित फैसले के संचालन पर रोक लगाने की अर्जी पर नोटिस भी जारी किया था. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकार ने ओबीसी के उप-वर्गीकरण के संबंध में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ कोई परामर्श किया है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने 22 मई के फैसले में कहा कि 2010 से जारी 5,00,000 से अधिक ओबीसी प्रमाणपत्रों का उपयोग अब नौकरियों में आरक्षण प्राप्त करने के लिए नहीं किया जा सकता है. जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने 2011 में सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को प्रभावी रूप से रद्द कर दिया. इसने स्पष्ट किया कि उसके आदेश का भावी प्रभाव होगा और उन लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जिन्होंने 2010 के बाद जारी प्रमाणपत्रों का उपयोग करके पहले ही नौकरी हासिल कर ली है. कलकत्ता HC ने कहा कि राज्य विधानसभा अब तय करेगी कि कौन सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, साथ ही कहा कि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अब जाति श्रेणियों की सूची तय करेगा जिन्हें ओबीसी सूची में शामिल किया जा सकता है.
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