अदाणी पोर्ट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, गुजरात सरकार को अभी नहीं लौटानी पड़ेगी जमीन
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार को अडानी पोर्ट्स और एसईजेड को आवंटित 108 हेक्टेयर जमीन वापस लेने को कहा गया था. 108 हेक्टेयर की जमीन कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह के पास स्थित है. गुजरात हाईकोर्ट ने अदाणी पोर्ट को इस जमीन को वापस लौटाने के निर्देश दिए थे जिसे अदाणी पोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
अदाणी पोर्ट के पास अभी रहेगी 108 हेक्टेयर की जमीन, मामले में सरकार से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा करीब 108 हेक्टेयर जमीन की वसूली के खिलाफ अडानी पोर्ट्स द्वारा दायर अपील पर यह आदेश पारित किया.
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है.
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पूरा मामला क्या है?
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला 2005 का है, जब अडानी पोर्ट्स को 108 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी. 2010 में जब अडानी पोर्ट्स ने जमीन पर बाड़ लगाना शुरू किया, तो वहां के नवीनल गांव के निवासियों ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अडानी पोर्ट्स को 231 हेक्टेयर चरागाह भूमि के आवंटन को चुनौती दी. उन्होंने तर्क दिया कि गांव में चरागाह की कमी है और इस आवंटन से उनके पास केवल 45 एकड़ जमीन बचेगी। 2014 में, राज्य सरकार द्वारा यह कहने के बाद कि चरागाह के लिए 387 हेक्टेयर सरकारी जमीन देने का आदेश पारित किया गया है, अदालत ने मामले का निपटारा कर दिया.
2015 में, राज्य सरकार ने एक समीक्षा याचिका दायर की और अदालत को बताया कि ग्राम पंचायत को आवंटित करने के लिए केवल 17 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध थी. इसने प्रस्ताव दिया कि यह शेष भूमि लगभग 7 किलोमीटर दूर आवंटित कर सकता है. ग्रामीणों ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मवेशियों के चरने के लिए यह बहुत दूर है. इस साल अप्रैल में, अदालत ने एक वरिष्ठ राजस्व अधिकारी को समाधान के साथ आने के लिए कहा. अधिकारी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार ने लगभग 108 हेक्टेयर भूमि वापस लेने का फैसला किया है जो 2005 में अडानी पोर्ट्स को आवंटित की गई थी.
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अदाणी पोर्ट को जमीन लौटाने के फैसले पर अभी रोक लगा दी है.