वर्कप्लेस पर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी! सुझावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन, दो महीने के अंदर रिपोर्ट भी आएगी
Kolkata Doctor Rape-Murder Case: आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर देशव्यापी समस्या बताया है तथा डॉक्टरों के साथ वर्कप्लेस पर होनेवाली हिंसा को रोकने को लेकर नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस टास्क फोर्स को अस्पताल में परिसर में सुरक्षा जांच, परिसर में आनेवाले व्यक्तियों एवं उसके समानों की जांच व लगातार ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों के लिए अस्पताल में रेस्ट रूम व ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था आदि विषयों पर जांच करने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने डॉक्टरों के साथ होनेवाली हिंसा को देशव्यापी समस्या बताया. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर की रेप-मर्डर की घटना पर कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करनेवाले डॉक्टरों के साथ हिंसा रोकने में नाकाम रहने पर बंगाल सरकार को जमकर फटकारा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7000 लोग घटनास्थल पर पहुंच गए और पुलिस को खबर तक नहीं लगी. इस दौरान कलकत्ता पुलिस क्या कर रही थी?
सीजेआई ने वर्कप्लेस पर डॉक्टरों को मिलनेवाली सुविधाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि सुरक्षा के मामले में, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, महिला डॉक्टरों, रेजिडेंट और नॉन-रेजिडेंट डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षित परिस्थितियों की कमी है. युवा डॉक्टरों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है. पुरुष और महिला डॉक्टरों के लिए कोई अलग आराम और ड्यूटी रूम नहीं है और हमें सुरक्षित कार्य स्थितियों के लिए एक मानक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए राष्ट्रीय सहमति विकसित करने की आवश्यकता है. आखिरकार, संविधान के तहत समानता क्या है अगर महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं हो सकतीं?
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,
"संविधान प्रदत समानता का अर्थ क्या है? अगर महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर सुरक्षित नहीं रह सकती"
सीजेआई ने उक्त टिप्पणियों के साथ नेशनल टास्क फोर्स के गठन का निर्देश दिया.
नेशनल टास्क फोर्स का उद्देश्य क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने इस टास्क फोर्स का उद्देश्य बताया कि ये मेडिकल प्रोफेशनल व अस्पताल में सुरक्षा को लेकर हर एक पहलु पर सुझाव देगी. वहीं अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए भी निर्देश दे सकती है.
राष्ट्रीय टास्क फोर्स देशव्यापी स्तर पर मेडिकल प्रोफेशनल को लेकर सुरक्षात्मक व बुनियादी व्यवस्थाओं को लेकर अपनी रिपोर्ट देगी, उनमें से कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं;
1. आपातकालीन कक्ष के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है;
2. हथियारों लेकर प्रवेश करने से रोकने के लिए बैगेज स्क्रीनिंग;
3. यदि कोई व्यक्ति मरीज नहीं है तो उसे एक सीमा से अधिक की अनुमति नहीं देना;
4. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा;
5. डॉक्टरों के लिए रेस्ट रूम और डॉक्टरों, नर्सों के आराम करने के लिए जेंडर न्यूट्रल रूम होना;
6. ऐसे क्षेत्रों में बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान होनी चाहिए;
7. अस्पताल परिसर में उचित लाइट की व्यवस्था, सभी जगहों पर सी.सी.टी.वी. की लगाना;
8. चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ट्रासपोर्ट की सुविधा;
9. दुख और संकट से निपटने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन;
10. संस्थागत सुरक्षा उपायों का तीन महीने पर ऑडिट;
11. आने वाले लोगों के अनुरूप पुलिस बल की स्थापना;
12. POSH अधिनियम चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर लागू होता है. इसलिए ICC का गठन किया जाएगा;
13. चिकित्सा व्यवसायों की आपात स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए.
नेशनल टास्क फोर्स कब तक देगी रिपोर्ट?
सीजेआई ने नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) ऊपर बताए गए सभी पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी और साथ ही अन्य पहलुओं को भी इसमें शामिल कर सकती है. एनटीएफ उचित समयसीमा भी सुझाएगा जिसके आधार पर अस्पतालों द्वारा अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे के आधार पर सुझावों को लागू किया जा सकता है.
सीजेआई ने एनटीएफ से अनुरोध किया कि वे इस आदेश की तारीख से तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट और 2 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करे.