कब Ignorance of Law आपको सजा होने से बचा सकती है? चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बताया
देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश के कानूनों को जानें और उसका पालन करें. नागरिक जितनी जिज्ञासा से हक और अधिकार को जानने में रूचि में लेते हैं, उनसे उतनी ही रुचिकर तरीके से कर्तव्यों को भी जानने की अपेक्षा की जाती है. कई बार ऐसा होता है कि हमें नियमों की जानकारी (Ignorance of Law) नहीं होती है और हम ऐसा कर बैठते हैं जिससे हमसे कानूनों का उल्लंघन कर देते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है जिसमें लोगों को राहत मिल सकती है.
Ignorance of Law के चलते नहीं होगी सजा
हाल ही में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामले की सुनवाई के आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे कानून के बारे में जानकारी नहीं थी. उसने कहा कि उसे पता नहीं था कि पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) की धारा 15 के तहत चाइल्ड पोर्न को रखना या देखना अपराध है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कानून की जानकारी नहीं होने (Ignorance of Law) को सजा से बचाव के लागू किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे चार बिंदु है जिसके आधार पर किसी आरोपी को राहत दी जा सकती है.
वे चार बिंदु है;
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- आरोपी को कानून की जानकारी नहीं होना या पूरी तरह अनभिज्ञ होना
- ऐसी अज्ञानता या अनभिज्ञता से एक संगत, उचित और वैध कारण से जुड़े/उत्पन्न होने चाहिए
- ऐसे अधिकार या दावे पर विश्वास करने योग्य हो
- जिस अपराध को दंडित करने की मांग की गई है, वह इस अज्ञानता की गई होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब ये चारों पूरी हो पाएंगी तभी कोई व्यक्ति अमुक अपराध से राहत दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि कानून की अनभिज्ञता या जानकारी नहीं होने का दावा किसी उचित कारण के आधार पर उत्पन्न होना चाहिए. नहीं, तो हर व्यक्ति इसकी मांग कर सकती है.
वहीं चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि POCSO की धारा 15 के बारे में जानकारी न हो, लेकिन यह अपने आप में यह मानने के लिए एक संगत वैध या उचित आधार नहीं है कि बाल पोर्नोग्राफिक कंटेंट को संग्रहीत करने या रखने का कोई अधिकार था, जिससे इस मामले में चार-बिंदु पूरी तरह असफल दिखाई पड़ती है.