SC ने सभी जानवरों को कानूनी इकाई घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सभी पशुओं को जीवित व्यक्ति की तरह कानूनी अधिकार देने की मांग की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D Y Chandrachud),न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा ( Justices P S Narasimha) और जे बी पारदीवाला (J B Pardiwala) की पीठ (Bench) ने जनहित याचिका को शुक्रवार (March 31) को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "रिट याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जानवरों के लिए जो अधिकार मांगे जा जा रहे हैं उसे इस अदालत के द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता."
याचिका में मांग
सामाजार एजेंसी PTI के अनुसार, इस जनहित याचिका को NGO People's Charioteer Organisation के द्वारा दायर किया गया था. जिसमें यह जिक्र किया गया था कि हाल ही में जानवरों के प्रति क्रूरता के मामले सामने आए हैं, इन मामलों ने यह सवाल उठाया है कि इंसानों के मन में जानवरों के जीवन के लिए कोई सम्मान नहीं है और इंसान कैसे जानवरों के प्रति सहानुभूति नहीं रख सकते.
Also Read
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; RJD, TMC सहित इन लोगों ने दायर की याचिका, अगली सुनवाई 10 जुलाई को
- BCCI को नहीं, ललित मोदी को ही भरना पड़ेगा 10.65 करोड़ का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले में दखल देने से किया इंकार
- अरूणाचल प्रदेश की ओर से भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाकर देने के फैसले पर लगाई रोक, केन्द्र की याचिका पर जारी किया नोटिस
याचिका में विभिन्न राज्यों में क्रूरता की विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है, "इस तरह की घटनाओं ने कई लोगों को और क्रोधित किया है और यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जानवरों के सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून क्या संभावित दुर्व्यवहार और क्रूरता से बचाने के लिए पर्याप्त हैं."
देश के सभी नागरिकों को क्रूरता और दुर्व्यवहार से जानवरों की सुरक्षा के लिए और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए अदालत से यह मांग की गई थी देश के सभी नागरिकों को जानवरों का "अभिभावक बनाने की घोषणा करें. अर्थात वह जानवरों की देखभाल के लिए उत्तरदायी होंगे.
जनहित याचिका ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला दिया गया था जिसके तहत पशु साम्राज्य के सभी जानवरों को कानूनी संस्थाओं के रूप में मान्यता दी गई थी और सभी लोगों को "persons in loco parentis". घोषित किया गया था.
इसने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में विभिन्न कानूनों के तहत रिपोर्ट किए गए मामलों और सजा सहित पशु क्रूरता और जानवरों के खिलाफ अपराधों से संबंधित आंकड़ों और आंकड़ों की रिपोर्ट करने और प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की थी.